भागलपुर, 5 अगस्त . भागलपुर के सबौर स्थित बिहार कृषि विश्वविद्यालय के स्थापना दिवस पर Tuesday को समारोह का आयोजन किया गया. इस मौके पर उपस्थित भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, New Delhi के निदेशक एवं कुलपति डॉ. श्रीनिवास राव ने नवाचार और स्टार्टअप संस्कृति को बढ़ावा देने पर जोर दिया.
उन्होंने 15 वर्षों की यात्रा को अत्यंत प्रेरणादायक बताते हुए विश्वविद्यालय परिवार को हार्दिक बधाई दी. डॉ. राव ने कहा, “हमने यहां की संरचनाओं, सुविधाओं, प्रयोगशालाओं एवं प्रक्षेत्रों का अवलोकन किया और यह देखकर गर्व होता है कि इतने कम समय में विश्वविद्यालय ने राष्ट्रीय स्तर पर प्रभावशाली पहचान बनाई है. बिहार अब किसी भी राज्य से पीछे नहीं है. बिहार को कृषि उत्पादों के निर्यात के क्षेत्र में भी बेहतर करना चाहिए.”
श्रीनिवास राव ने युवाओं को कृषि की ओर आकर्षित करने के लिए एग्री-प्रेन्योरशिप को प्रोत्साहित करने की आवश्यकता बताते हुए कृषि शिक्षा को अधिक उद्योगोन्मुखी, डिजिटल-समर्थित और समाधान आधारित बनाने की दिशा में कार्य करने की सलाह दी. उन्होंने बिहार को कृषि उत्पादों के निर्यात में अग्रणी बनाने की दिशा में विश्वविद्यालय को नीति निर्धारण और अनुसंधान में अहम भूमिका निभाने की आवश्यकता बताई.
इस अवसर पर सिंदूर की खेती पर आधारित डॉक्यूमेंट्री का विमोचन पूर्व केंद्रीय मंत्री शाहनवाज हुसैन ने किया. उन्होंने कहा, “परिसर की हरियाली दिल को छू लेने वाली है. ऑपरेशन सिंदूर की गूंज अब विश्व स्तर तक पहुंच चुकी है और बीएयू की सिंदूर की खेती की चर्चा भी हर तरफ है.”
समारोह में कतरनी चावल के एक किलोग्राम के वाटरप्रूफ जिपर बैग का भी विमोचन किया गया, जो स्थानीय कृषि उत्पादों की ब्रांडिंग की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है. इस अवसर पर क्रॉप फिजियोलॉजी, कृषि अभियंत्रण, कृषि पत्रकारिता आदि विषयों पर आधारित प्रायोगिक एवं व्यावहारिक पुस्तकों का भी विमोचन किया गया.
सांसद अजय मंडल ने बीएयू को नीति आयोग द्वारा पूर्वोत्तर योजना की नोडल एजेंसी बनाए जाने को एक ऐतिहासिक उपलब्धि बताया और कहा कि 15 वर्षों में बीएयू की उपलब्धियां देशभर के कृषि विश्वविद्यालयों के लिए प्रेरणा स्रोत हैं.
इस अवसर पर बीएयू एवं भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आईएआरआई), New Delhi के बीच एक महत्वपूर्ण समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए. यह साझेदारी बिहार के किसानों, वैज्ञानिकों एवं छात्रों के लिए अनुसंधान, नवाचार, प्रशिक्षण और तकनीकी सहयोग के नए द्वार खोलेगी.
विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. डी.आर. सिंह ने इस समझौते को ऐतिहासिक बताते हुए कहा कि इससे बिहार के कृषकों, वैज्ञानिकों एवं छात्रों को प्रत्यक्ष लाभ मिलेगा और राज्य में कृषि का एक नया युग प्रारंभ होगा.
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एमएनपी/एबीएम