भागलपुर, 10 सितंबर . Prime Minister मत्स्य संपदा योजना (पीएमएमएसवाई) ने 5 साल पूरे कर लिए हैं. इसे 20 मई 2020 को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने भारत के मत्स्य पालन क्षेत्र में “नीली क्रांति” की शुरुआत करने के लिए ऐतिहासिक पहल के रूप में स्वीकृति दी थी.
Prime Minister मोदी ने पीएमएमएसवाई का शुभारंभ 10 सितंबर 2020 को किया था. इस योजना ने देशभर में मत्स्य पालन को नई पहचान दी है. बिहार के भागलपुर जिले में भी इस योजना का बड़ा असर दिख रहा है. इस योजना ने मत्स्य पालन को पर्यावरण अनुकूल, आर्थिक रूप से सक्षम और सामाजिक रूप से समावेशी बनाने में अहम भूमिका निभाई है.
भागलपुर के लाभार्थी अमित कौशिक ने से बातचीत में बताया कि कोई भी बैंक कृषि लोन नहीं देना चाहता है. बैंकों को लगता है कि शायद किसान लोन चुका नहीं पाएगा. लोन के लिए परेशानी हुई थी. बैंक के अधिकारी कई बार आकलन करने के लिए आए, संतुष्ट होने के बाद ही लोन ग्रांट किया. 15 साल पहले निर्धारित एक हेक्टेयर तालाब निर्माण की लागत ही आज भी वही है, जबकि महंगाई दर बढ़ रही है, रेट रिवीजन होना चाहिए. उन्होंने कहा कि इस योजना को आगे बढ़ाना चाहिए ताकि इसकी पहुंच ज्यादा लोगों तक हो.
अमित कौशिक ने योजना के तहत रीक्रिएशन पार्क के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि मछली उत्पादन के साथ ही कई अन्य चीजों को जोड़कर पार्क का प्रतिरूप दिया गया है. इससे किसान की आमदनी बढ़ती है. इससे पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा. इसमें बोटिंग है, एंगलिंग प्वाइंट (जहां पर बैठकर लोग मछली पकड़ते हैं) है और चिल्ड्रन्स पार्क के साथ ही ओपन एयर जिम जैसी कई सुविधाएं दी गई हैं.
कौशिक ने आमदनी के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि 2017 में मेरा आईटीआर सिर्फ तीन लाख का था और नेटवर्थ 30 हजार. Prime Minister मत्स्य संपदा योजना से सस्ता लोन मिला. आज नेटवर्थ तीन करोड़ 10 लाख हो चुका है. आधुनिक खेती और मत्स्य पालन से कमाई कई गुना बढ़ी है. हमने 6 स्किल्ड और चार अनस्किल्ड लोगों को रोजगार भी दिया है. Prime Minister की योजनाओं ने किसानों की स्थिति पहले से कहीं बेहतर बना दी है.
जिला मत्स्य अधिकारी कृष्ण कन्हैया के मुताबिक इस योजना से राजस्व बढ़ा है, रोजगार सृजित हुए हैं और जिले से मछली की सप्लाई अब दूसरे राज्यों तक जा रही है. मत्स्य संपदा योजना से किसानों की आमदनी बढ़ रही है और वे आत्मनिर्भर बन रहे हैं.
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एएसएच/डीएससी