‘पीएम विश्वकर्मा योजना’ के बारे में बोले लाभार्थी, पूंजी की समस्या नहीं होगी, प्रशिक्षण से काम में निखार आया

पटना, 13 सितंबर . हाथ से मूर्ति बनाने वाले, नाई की दुकान चलाने वाले, पत्थर तराशने वाले, फूलों की माला बनाने वाले लोग ‘पीएम विश्वकर्मा योजना’ से जुड़कर काफी खुश हैं. इस योजना से जुड़ने के बाद सभी को लाभार्थी कार्ड भी दिया गया है.

बता दें कि पीएम विश्वकर्मा योजना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साल 2023 में शुरू की थी. इस योजना को शुरू करने के पीछे सरकार का मकसद था कि छोटे व्यापार करने वाले लोगों को आर्थिक रूप से मजबूत किया जाए, जिससे वह अपने छोटे से व्यापार का आकार बढ़ा सकें. साथ ही रोजगार के नए अवसर भी पैदा हो.

बिहार में गया, पटना, मुजफ्फरपुर से आए कारीगरों ने पीएम विश्वकर्मा योजना के बारे में से बात की.

गया जिले के रहने वाले धीरज कुमार ने बताया कि पत्थर और लकड़ी को मूर्ति को वह आकार देते हैं. पीएम विश्वकर्मा योजना के आने से पहले घर से थोड़ा पैसा लेकर अपनी क्षमता के अनुसार ही काम करते थे. आर्थिक तौर पर काम करना एक चुनौती था. लेकिन, इस योजना के आने के बाद से हम अपने काम का विस्तार करेंगे.

मुजफ्फरपुर से आए लखिंदर सिंह ठाकुर ने कहा, पीएम विश्वकर्मा योजना हम लोगों के लिए काफी फायदेमंद है. वह नाई का काम करते हैं. इस योजना से कम पूंजी लगाकर व्यापार किया जा सकता है. पहले की सरकारों में इस तरह की योजना नहीं थी.

दानापुर के कारीगर सच्चा लाल यादव ने कहा कि वह इस योजना से जुड़े हैं. सरकार की तरफ से लोन मिलता है तो बहुत अच्छा होगा.

मलीराम भगत ने कहा कि वह फूलों की माला बनाने का काम करते हैं. लोगों को फूल बनाने का काम भी सिखाते हैं. माला बनाने के लिए लोन मुहैया कराया गया है. पीएम की यह योजना काफी अच्छी है. पहले इस तरह की योजना नहीं थी. हम लोगों को आगे बढ़ाने का काम पीएम ने इस योजना के माध्यम से किया है.

बख्तियारपुर के रहने वाले व मिट्टी की मूर्ति बनाने वाले कारीगर आनंद मोहन ने बताया कि विश्वकर्मा योजना से काफी लाभ मिला है. इस योजना के तहत दिए जा रहे प्रशिक्षण से हमारे काम में निखार आया है. प्रशिक्षण के दौरान, हमें ऑनलाइन शॉपिंग के बारे में प्रशिक्षण दिया गया है.

डीकेएम/जीकेटी