आतंकी हमले पर राय रखने से पहले जम्मू जाएं और कश्मीरी पंडितों से मिलें: अशोक पंडित

मुंबई, 4 मई . फिल्म निर्माता-निर्देशक और इंडियन फिल्म एंड टेलीविजन डायरेक्टर्स असोसिएशन (आईएफटीडीए) के अध्यक्ष अशोक पंडित देश के मुद्दों को लेकर मुखर रहते हैं. सोशल मीडिया पर पोस्ट शेयर कर उन्होंने पहलगाम आतंकी हमले पर अपनी राय रखने से पहले लोगों से जम्मू जाकर कश्मीरी पंडितों से मिलने और उनके दर्द को देखने की अपील की. उनका मानना है कि पंडितों से बात किए बिना समस्या की तह तक जाना नामुमकिन है.

इंस्टाग्राम पर वीडियो शेयर कर अशोक पंडित ने कैप्शन में लिखा, “पूरा देश सदमे में है. स्थानीय लोगों से मिलकर मीडिया और ओपिनियन मेकर्स स्थिति को समझने और उसका विश्लेषण करने की कोशिश कर रहे हैं. मैं लोगों से अपील करता हूं कि वे जगती शरणार्थी शिविर (जम्मू) में जाएं और कश्मीरी पंडितों से मिलें जो अभी भी कश्मीर में आतंकी हमले से पीड़ित हैं. कश्मीरी पंडितों को शामिल किए बिना कोई भी विश्लेषण पूरा नहीं हो सकता क्योंकि हम सच बोलेंगे.”

वीडियो में फिल्म निर्माता अपनी बात रखते नजर आए. उन्होंने कहा, “जिस तरीके से कश्मीर में आतंकी वारदात को अंजाम दिया गया, उससे पूरा देश सकते में है. मीडिया घटना के बारे में जानने के लिए जुटी हुई है. लोगों के मन में था कि कश्मीर में हालात सामान्य हो रहे थे, तो आखिर इसके पीछे वजह क्या है? इसका पता लगाने की कोशिश की जा रही है. यह हमला क्यों हुआ? यह वहां के नौकरशाह, राजनेता के अलावा स्थानीय लोगों से जानने की कोशिश की जा रही है.”

उन्होंने आगे कहा, “कश्मीर पहुंचे मीडिया, ओपिनियन मेकर्स से एक कश्मीरी पंडित के तौर पर अपील है कि वह जब भी जम्मू जाएं तो एक बार जगती कैंप भी जरूर जाएं, जहां आज भी हजारों की संख्या में पंडित शरणार्थी के तौर पर रह रहे हैं. मुझे लगता है कि जब तक आप वहां नहीं जाएंगे तो पूरा विश्लेषण नहीं कर पाएंगे. यह महत्वपूर्ण है और इसके बाद ही किसी निष्कर्ष पर पहुंचें. क्योंकि जो हम कहेंगे, वो कोई नहीं कहेगा.”

इससे पहले शेयर किए गए एक पोस्ट में उन्होंने पहलगाम हमले से सामने आए कुछ चौंकाने वाली बातों और एनआरसी का जिक्र कर विरोध करने वालों पर तंज कसा. उन्होंने लिखा, “पहलगाम हमले से कुछ चौंकाने वाली बातें सामने आई हैं. एक सीआरपीएफ जवान की पत्नी पाकिस्तानी है, एक जम्मू-कश्मीर पुलिस कांस्टेबल पाकिस्तानी नागरिक निकला, पाकिस्तानी महिलाएं भारत में रह रही हैं और यहां बच्चों का पालन-पोषण कर रही हैं, पाकिस्तानी हमारे चुनावों में मतदान कर रहे हैं.”

अशोक पंडित ने आगे बताया, “इससे पता चलता है कि समस्या कितनी गंभीर है. कोई आश्चर्य नहीं कि कुछ लोग दस्तावेज दिखाने के सख्त खिलाफ थे और एनआरसी विरोध प्रदर्शन के दौरान “हम कागज नहीं दिखाएंगे” के नारे लगा रहे थे. दुःख की बात है कि कांग्रेस का समर्थन करने वाले कुछ हिंदू भी विरोध प्रदर्शन में शामिल हो गए और खतरे को समझे बिना ही ऐसे लोगों की मदद करने लगे.”

एमटी/केआर