नई दिल्ली, 9 दिसंबर . महाराष्ट्र के लातूर में वक्फ बोर्ड ने 7 दिसंबर को लातूर जिले के 100 से अधिक किसानों को नोटिस भेजा है. बोर्ड ने उन किसानों से उनकी जमीन लेने की बात कही है, जिस पर वे पीढ़ियों से खेती करते आ रहे हैं. इस पर भारतीय जनता पार्टी नेता और वक्फ संशोधन बिल जिस जेपीसी के पास है उस जेपीसी के अध्यक्ष जगदंबिका पाल ने ऐसी घटनाओं पर वक्फ बोर्ड बनाने की मंशा पर ही सवाल खड़ा कर दिया है.
उन्होंने से बात करते हुए कहा, “महाराष्ट्र हो या कर्नाटक, किसान जो अपनी जमीन जिस पर वह दशकों से खेती कर रहे हैं, उन पर नोटिस जारी करना कहीं न कहीं वक्फ बोर्ड के उद्देश्य को विफल करता है. कोई भी व्यक्ति अपनी जमीन को धार्मिक, चैरिटेबल या किसी अन्य उद्देश्य के लिए दान कर सकता है, लेकिन यह समझना मुश्किल है कि अगर कोई अपनी जमीन नहीं देता है तो उसकी जमीन लेने की मंशा क्यों है. यदि वह जमीन सरकार की है या किसान की है तो वह जमीन वक्फ की हो ही नहीं सकती. आज के संशोधन का उद्देश्य यही है कि वक्फ पोर्टल पर प्रत्येक जमीन को रजिस्टर किया जाए, ताकि देशभर में वक्फ से जुड़े विवादों का हल निकल सके.”
उन्होंने आगे कहा, “अब सवाल यह उठता है कि यदि कोई वक्फ एक नोटिस जारी करता है और कहता है कि हमारी जमीन है, तो क्या केवल यह कहा जा सकता है कि वक्फ का अधिकार है? इसके लिए कोई उद्देश्य या साक्ष्य होना चाहिए. सन् 1911 में ब्रिटिशर्स ने दिल्ली में राजधानी बनाने के लिए जमीन अधिग्रहित की और मुआवजा दिया, फिर 70 के दशक में वे कहने लगे कि यह जमीन हमारी है.
इसके बाद उन्होंने जॉर्ज सोरोस के मुद्दे पर कहा कि आखिर क्यों कांग्रेस इस पर चर्चा नहीं करना चाहती? अगर जॉर्ज सोरोस की फाउंडेशन भारत में किसी को फंडिंग दे रही है और ये रिपोर्ट संसद से पहले आती है, तो विपक्ष इसे सनसनीखेज बनाना चाहता है. इस तरह से यह देश को अस्थिर करने की कोशिश हो रही है. तो कांग्रेस इस पर चर्चा क्यों नहीं करना चाहती? क्या वे केवल लोगों को गुमराह करना चाहते हैं?
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पीएसएम/जीकेटी