New Delhi, 26 अगस्त . घर के आंगन में लगी तुलसी केवल एक पौधा नहीं है बल्कि, यह परंपरा, आस्था और सेहत का संगम है. इसे ‘जड़ी-बूटियों की रानी’ भी कहा जाता है. तुलसी में कई तरह के औषधीय गुण होते हैं, जो इसे स्वास्थ्य के लिए एक वरदान बनाते जाते हैं.
तुलसी का वैज्ञानिक नाम ‘ओसीमम टेन्यूफ्लोरम’ है. भारत में इसकी चार तरह की किस्में पाई जाती हैं- राम, श्याम, कपूर और वन. यह अपनी अनूठी सुगंध और औषधीय गुणों के लिए जानी जाती है. इसके अलावा, दक्षिण-पूर्व एशिया की ‘देवना’ या थाई तुलसी भी अपने स्वाद और औषधीय महत्व के लिए लोकप्रिय है. औषधीय गुणों से भरपूर तुलसी शरीर की कई समस्याओं को दूर करने में सहायक है.
चरक संहिता में तुलसी को एक शक्तिशाली जड़ी-बूटी के रूप में वर्णित किया गया है. यह हिचकी, खांसी, विष, श्वांस रोग और पसलियों के दर्द जैसे कई विकारों को नष्ट करती है.
तुलसी में विटामिन सी और जिंक जैसे पोषक तत्व होते हैं, जो शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करते हैं. साथ ही, यह शरीर और मन को शांत रखने में सहायक होती है.
सुश्रुत संहिता के अनुसार, तुलसी में यूजेनॉल नामक एक तत्व होता है, जो दर्द निवारक के रूप में काम करता है. यह सिरदर्द और शरीर के अन्य दर्द में राहत पहुंचा सकती है. इसका नियमित सेवन सर्दी, खांसी और अन्य संक्रमणों से बचाता है.
तुलसी एक ‘एडाप्टोजेन’ के रूप में काम करती है, जो तनाव (स्ट्रेस) को कम करने में मदद करता है. यह शरीर और मन को शांत रखने में सहायक होती है.
तुलसी की पत्तियां सर्दी-खांसी, अस्थमा और ब्रोंकाइटिस जैसी श्वसन संबंधी बीमारियों में बहुत आराम देती हैं. तुलसी की चाय या काढ़ा पीने से गले में खराश और कफ की समस्या में राहत मिलती है.
आप तुलसी की पत्तियों को चाय में डालकर, काढ़ा बनाकर, या फिर सीधे चबाकर भी इस्तेमाल कर सकते हैं. हालांकि, किसी भी गंभीर बीमारी के लिए तुलसी का उपयोग करने से पहले डॉक्टर से सलाह लेना हमेशा बेहतर होता है.
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एनएस/डीएससी