बप्पी लाहिरी जयंती : माता-पिता से विरासत में मिले संगीत के गुण, 19 साल की उम्र में बने म्यूजिक डायरेक्टर

New Delhi, 26 नवंबर . हिंदी सिनेमा के मशहूर गायक और संगीतकार बप्पी लाहिरी को डिस्को किंग के नाम से आज भी जाना जाता है. उनके संगीत की डिस्को बीट और जिंदादिल आवाज ने संगीत उद्योग और हिंदी सिनेमा में अपनी अमिट छाप छोड़ी है. बंगाली सिनेमा से अपने करियर को शुरू कर उन्होंने हिंदी सिनेमा में छोटी सी उम्र में अपनी पहचान बना ली थी. 27 नवंबर को बप्पी लाहिरी की जयंती है.

कम ही लोग जानते हैं कि बप्पी लाहिरी का असली नाम अलोकेश लाहिरी था. 27 नवंबर 1952 को जन्मे बप्पी दा ने 15 फरवरी 2022 को इस दुनिया को अलविदा कह दिया. बप्पी दा को 1970-80-90 के दशक में Bollywood में डिस्को बीट्स की बाढ़ लाने का श्रेय जाता है. उन्हें इसी वजह से डिस्को किंग ऑफ़ इंडिया का नाम भी मिला.

बप्पी दा ने हिन्दी, बांग्ला और दक्षिण भारतीय भाषाओं में 5000 से ज्यादा गाने कंपोज किए. यह भी अपने आप में एक उपलब्धि है. इसके साथ ही उन्होंने कई सिंगिग रिएलिटी शोज में बतौर जज अपनी भूमिका निभाई. राजनीति में भी बप्पी दा ने कदम रखा. 2014 में वह भाजपा में शामिल हुए थे, लेकिन सक्रिय राजनीति नहीं की.

मशहूर गायक और संगीतकार बप्पी लाहिरी बचपन से ही संगीत में रुचि रखते थे, क्योंकि उनके पिता, अपरेश लाहिरी, एक प्रसिद्ध बंगाली गायक थे और उनकी मां, बंसरी लाहिरी, भी गायिका और संगीतकार थीं. संगीत बप्पी दा को विरासत में मिला था और उन्होंने अपने माता-पिता की विरासत को एक नए मुकाम पर पहुंचाया. बचपन में उन्होंने अपने माता-पिता से ही संगीत के गुण सीखे. बहुत कम लोग जानते हैं कि संगीत बनाने और गाने के अलावा उन्हें तबला बजाना भी बहुत पसंद था और इस काम में भी वह माहिर थे. उन्होंने तीन साल की छोटी उम्र में तबला बजाना शुरू कर दिया था. उस छोटी सी उम्र में भी, बप्पी दा में किसी प्रोफेशनल तबला वादक के गुण साफ दिखते थे.

19 साल की उम्र में लाहिरी ने बतौर म्यूजिक डायरेक्टर डेब्यू किया और उन्हें सफलता भी मिली. उन्हें पहला ब्रेक साल 1972 में आई बंगाली फिल्म ‘दादू’ से मिला, लेकिन हिंदी सिनेमा में उन्होंने साल 1973 में आई फिल्म ‘नन्हा शिकारी’ से अपने संगीतकार के तौर पर करियर की शुरुआत की. उन्होंने कई फिल्मों में अपना म्यूजिक दिया, लेकिन वे ताहिर हुसैन की हिंदी फिल्म ‘ज़ख्मी’ से लोकप्रिय हुए. उन्होंने न सिर्फ फिल्म में संगीत दिया, बल्कि प्लेबैक सिंगर के तौर पर पहली बार अपनी आवाज भी दी. फिल्म में सिंगर ने ‘जख्मी दिलों का बदला चुकाने’ गाने में अपनी आवाज दी थी. ये फिल्म सिनेमाघरों में हिट रही और बप्पी दा का करियर भी इस फिल्म के बाद चल निकला.

बप्पी लाहिरी ने ‘रात बाकी बात बाकी, होना है,’ ‘कोई यहां अहा नाचे-नाचे, कोई वहां,’ ‘डिस्को डांडिया…वादा किया है आने का हमसे आएगी,’ ‘जीना भी क्या है जीना तेरी आंखों के बिना,’ ‘जिंदगी में पहला-पहला तूने मुझको प्यार,’ समेत कई हिट सॉन्ग दिए. गानों के अलावा बप्पी दा अपने अनोखे स्टाइल के लिए भी जाने जाते हैं. उनका ड्रेसिंग सेंस पूर्व से लेकर पश्चिम की संस्कृति को दिखाता था. वे कुर्ता पजामा से लेकर हुड्डी तक में सुपर कूल लगते थे. उनके सनग्लासेस और गोल्ड ज्वेलरी पहनने के स्टाइल ने India में युवाओं के बीच नए फैशन की शुरुआत की थी.

पीएस/जीकेटी