नई दिल्ली, 6 दिसंबर . प्रमुख इंडस्ट्री चैंबर एसोचैम ने शुक्रवार को कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा कैश रिजर्व रेश्यो (सीआरआर) में 50 आधार अंकों की कटौती करके बैंकिंग सिस्टम में 1.16 लाख करोड़ रुपये जारी करने का निर्णय, उभरती हुई व्यापक आर्थिक स्थिति के मद्देनजर मुद्रास्फीति-विकास संतुलन बनाए रखने के लिए एक व्यावहारिक उपाय है.
चैंबर ने एफसीएनआर (बी) दरों में संशोधन करके भारत के विदेशी मुद्रा प्रवाह को बढ़ावा देने के उपायों का भी स्वागत किया, जिससे विदेशी मुद्रा बाजार में स्थिरता आएगी.
एसोचैम के अध्यक्ष संजय नायर ने कहा, “आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति द्वारा रेपो रेट को 6.50 प्रतिशत पर यथावत रखना और सीआरआर में 50 आधार अंकों की कटौती करने के निर्णय को आर्थिक विकास और मुद्रास्फीति को नियंत्रण में एक अच्छा संतुलन बनाए रखने के कदम के रूप में देखा जाना चाहिए.”
एसोचैम के महासचिव दीपक सूद ने कहा कि सीआरआर में कटौती के माध्यम से 1.16 लाख करोड़ रुपये जारी करना बैंकों और उद्योग के लिए बड़ी राहत होनी चाहिए क्योंकि लिक्विडिटी में कमी के शुरुआती संकेत मिले हैं.
हालांकि, चालू वित्त वर्ष के लिए जीडीपी वृद्धि का अनुमान 6.6 प्रतिशत कर दिया गया है, जो कि हकीकत के करीब है, लेकिन 2024-25 की चौथी तिमाही से अगले वित्तीय वर्ष में विकास दर 7 प्रतिशत से ऊपर निकल जाएगी.
इंडस्ट्री चैंबर ने कहा, “हम आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास के इस आकलन से सहमत हैं कि आर्थिक गतिविधियों में मंदी का दौर समाप्त हो चुका है.”
आरबीआई द्वारा चालू वित्त वर्ष के लिए जीडीपी विकास दर अनुमान को 7.2 प्रतिशत से घटाकर 6.6 प्रतिशत कर दिया गया है. विकास दर अनुमान कम करने की वजह वित्त वर्ष 2023-24 में जीडीपी का 5.4 प्रतिशत की दर से बढ़ना है.
आरबीआई ने वित्त वर्ष 2024-25 की तीसरी तिमाही में जीडीपी विकास दर अनुमान को 7.4 प्रतिशत से घटाकर 6.8 प्रतिशत कर दिया है. वहीं, चौथी तिमाही के विकास दर अनुमान को 7.4 प्रतिशत से घटाकर 7.2 प्रतिशत कर दिया है. वित्त वर्ष 2025-26 की पहली तिमाही के विकास दर अनुमान को 7.3 प्रतिशत से घटाकर 6.9 प्रतिशत कर दिया है.
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एबीएस/एबीएम