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इंदौर, 9 सितंबर . केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने 183 करोड़ रुपए की फर्जी बैंक गारंटी घोटाले में इंदौर स्थित एक निजी कंपनी के प्रबंध निदेशक (एमडी) समेत दो लोगों को गिरफ्तार किया है. यह कार्रवाई Madhya Pradesh उच्च न्यायालय के निर्देश पर की गई है.
सीबीआई ने इस मामले में तीन अलग-अलग केस दर्ज किए हैं. आरोप है कि इंदौर की एक निजी कंपनी ने Madhya Pradesh जल निगम लिमिटेड (एमपीजेएनएल) को जाली बैंक गारंटी जमा करके यह धोखाधड़ी की है.
साल 2023 में इस कंपनी ने Madhya Pradesh के छतरपुर, सागर और डिंडोरी जिलों में लगभग 974 करोड़ रुपए की तीन सिंचाई परियोजनाएं हासिल की थीं. इन ठेकों को पक्का करने के लिए कंपनी ने 183.21 करोड़ रुपए की आठ फर्जी बैंक गारंटी जमा कीं. इन जाली गारंटियों के आधार पर कंपनी ने एमपीजेएनएल से लगभग 85 करोड़ रुपए का अग्रिम भुगतान भी ले लिया.
सीबीआई को जांच में पता चला है कि इस धोखाधड़ी को अंजाम देने के लिए कंपनी ने पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) के आधिकारिक डोमेन जैसे दिखने वाले फर्जी ईमेल का इस्तेमाल किया.
इन ईमेल के जरिए एमपीजेएनएल को बैंक गारंटियों के सही होने की झूठी पुष्टि भेजी गई. इन्हीं झूठी पुष्टियों पर भरोसा करते हुए एमपीजेएनएल ने कंपनी को 974 करोड़ रुपये के ठेके दे दिए.
गिरफ्तार किए गए दोनों आरोपियों को इंदौर के विशेष मजिस्ट्रेट कोर्ट में पेश किया गया.
वहीं इससे पहले 5 सितंबर को केंद्रीय जांच एजेंसी ने यूएई से वांछित भगोड़े हर्षित बाबूलाल जैन का प्रत्यर्पण किया. टैक्स चोरी, अवैध जुआ और मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में हर्षित बाबूलाल जैन वांछित था.
इससे पहले सीबीआई ने Gujarat Police के अनुरोध पर 9 अगस्त 2023 को इंटरपोल के माध्यम से हर्षित बाबूलाल जैन के खिलाफ इंटरपोल से रेड नोटिस जारी करवाया था. आरोपी को यूएई से India लाया गया और Ahmedabad इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर उसे Gujarat Police को सौंप दिया गया.
पिछले कुछ वर्षों में इंटरपोल चैनलों के माध्यम से समन्वय करके 100 से अधिक वांछित अपराधियों को India वापस लाया गया है.
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सार्थक/वीसी