बांग्लादेश: प्रतिबंधित आतंकी संगठन जेएमबी की वापसी, भारत की सीमाओं पर बढ़ा खतरा

New Delhi, 6 अगस्त . बांग्लादेश स्थित प्रतिबंधित आतंकी संगठन जमात-उल-मुजाहिदीन बांग्लादेश (जेएमबी) एक बार फिर सक्रिय होता नजर आ रहा है. बीते आठ वर्षों से निष्क्रिय हो चुके इस संगठन की फिर से वापसी से भारत की पूर्वोत्तर सीमाओं और पश्चिम बंगाल पर गंभीर खतरा मंडरा रहा है.

भारतीय खुफिया एजेंसियों ने चेतावनी दी है कि जेएमबी का पुनरुत्थान बड़े स्तर पर किया जा रहा है और यह सीधे तौर पर भारत की सुरक्षा के लिए चुनौती बन सकता है. खासकर, अवैध घुसपैठियों और शरणार्थियों का उपयोग जेएमबी अपने ‘फुट सोल्जर’ के तौर पर कर रहा है, जिससे भारत में अस्थिरता फैलाने की साजिशें रची जा रही हैं.

शेख हसीना की सत्ता से विदाई के बाद कट्टरपंथी समूहों को खुली छूट मिल गई है. इसी के चलते न केवल जेएमबी, बल्कि कई अन्य आतंकी संगठनों को भी फिर से संगठित किया जा रहा है. आईएसआई और जमात-ए-इस्लामी की शह पर ये संगठन बांग्लादेश से भारत में घुसपैठ को बढ़ावा दे रहे हैं.

जेएमबी अब अपनी ताकत बढ़ाने के लिए अल-कायदा का भी साथ मांग रहा है, ताकि उसकी विचारधारा का तेजी से प्रसार हो सके. जहां अल-कायदा रणनीतिक दृष्टिकोण से प्रभावी है, वहीं जेएमबी जमीनी स्तर पर काम करने में माहिर है.

मोहम्मद यूनुस के अंतरिम सरकार के प्रमुख बनने के बाद, आईएसआई के कई अधिकारी बांग्लादेश पहुंचे और कट्टरपंथी संगठनों के नेताओं से मुलाकात की. रिपोर्ट्स के मुताबिक, आईएसआई चाहता है कि जेएमबी, अल-कायदा और अंसारुल्लाह बांग्ला टीम (एबीटी) मिलकर भारत को निशाना बनाएं और एक-दूसरे के काम में बाधा न डालें.

भारत के खिलाफ जेएमबी की योजना बेहद खतरनाक मानी जा रही है. ये संगठन रोहिंग्या और अवैध प्रवासियों की भर्ती कर रहा है और उन्हें भारत के मुस्लिम बहुल इलाकों में भेजकर वहां छोटे-मोटे उद्योगों में काम करने को कह रहा है, ताकि वे संदेह से बचे रहें. साथ ही, समय-समय पर गुप्त बैठकों के जरिए योजना बनाई जा रही है.

गौरतलब है कि 2014 में पश्चिम बंगाल के बर्दवान में हुए विस्फोट में भी जेएमबी का हाथ था, जिसमें एक बम बनाने की फैक्ट्री का भंडाफोड़ हुआ था. तब भी इसमें शामिल अधिकतर लोग अवैध प्रवासी थे.

वर्तमान में जेएमबी भारत-बांग्लादेश की पश्चिम बंगाल और असम सीमा की कमजोरी का फायदा उठा रहा है. मौजूदा परिस्थितियों में बांग्लादेश की अस्थिरता और भारत से ठंडी पड़ी कूटनीतिक रिश्तों के कारण, भारत के लिए यह खतरा और भी गंभीर हो गया है.

विशेषज्ञों का मानना है कि भारत को इस चुनौती से निपटने के लिए बांग्लादेश सरकार के सहयोग की जरूरत है, जैसा कि शेख हसीना के कार्यकाल में देखने को मिला था. लेकिन अब यूनुस सरकार का झुकाव पाकिस्तान की ओर अधिक है, जिससे भारत-बांग्लादेश के रिश्तों में तनाव बना हुआ है.

डीएससी/