ढाका, 12 अगस्त . बांग्लादेश के अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण (आईसीटी) ने Tuesday को Supreme court के वरिष्ठ वकील जेड.आई. खान पन्ना को पूर्व Prime Minister शेख हसीना का प्रतिनिधित्व करने की अनुमति देने संबंधी याचिका खारिज कर दी. यह मामला पिछले साल जुलाई में हुए प्रदर्शनों से जुड़े मानवता विरोधी अपराधों से संबंधित है.
विश्लेषकों का मानना है कि यह फैसला न्यायिक प्रक्रिया के साथ अन्याय है और इससे हसीना के बचाव के अधिकार का हनन हुआ है. वकील नजनीन नाहर ने पन्ना की ओर से यह आवेदन दायर किया था.
स्थानीय मीडिया के अनुसार, गवाही के चरण में याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायाधिकरण ने कहा कि इसे स्वीकार नहीं किया जा सकता. आईसीटी ने टिप्पणी की, “ट्रेन पहले ही स्टेशन से निकल चुकी है, स्टेशन मास्टर को सूचना देकर अब उसमें सवार होना संभव नहीं है. केस के इस चरण में नया वकील नियुक्त करने का कोई अवसर नहीं है.”
न्यायाधिकरण ने बताया कि राज्य की ओर से पहले ही Supreme court के वकील अमीर हुसैन को हसीना की पैरवी के लिए नियुक्त किया गया है.
गौरतलब है कि 3 अगस्त को आईसीटी में हसीना और दो अन्य के खिलाफ मानवता विरोधी अपराधों के मामले में अभियोजन पक्ष ने अपनी कार्यवाही शुरू की थी. सह-आरोपियों में पूर्व गृह मंत्री असदुज्जमान खान कमाल और पूर्व Police महानिरीक्षक (आईजीपी) चौधरी अब्दुल्ला अल मामून शामिल हैं.
कार्यवाही के बाद अवामी लीग ने अपने नेतृत्व पर लगाए गए आरोपों को “Political रूप से प्रेरित” करार दिया और इसे मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली “अवैध” अंतरिम Government की साजिश बताया.
अवामी लीग नेता मोहम्मद ए. अराफात ने कहा कि न तो पूर्व Prime Minister हसीना और न ही उन्हें इस मुकदमे की औपचारिक सूचना मिली है, जो इस “गैर-निर्वाचित” Government की बेतुकी कार्रवाई को दर्शाता है. उन्होंने कहा, “यह एक गैर-निर्वाचित कब्जाधारी की साजिश का हिस्सा है, जो लोकतांत्रिक वैधता खत्म करने, विपक्ष को चुप कराने और सत्ता में बने रहने के लिए बेताब है. ऐसी Government के पास न कानूनी और न नैतिक अधिकार है कि वह जनता के जनादेश से चुनी गई Government पर मुकदमा चलाए. संसद द्वारा पारित कानून में संशोधन का अधिकार केवल संसद को है.”
उन्होंने कहा कि किसी भी लोकतांत्रिक रूप से निर्वाचित नेता पर “हिंसक विद्रोह का सामना करते हुए संवैधानिक कर्तव्यों का पालन करने” के लिए मुकदमा नहीं चलाया जाना चाहिए.
–
डीएससी/