बांग्लादेश की सरकार ने इस्कॉन को बताया कट्टरपंथी संगठन

नई दिल्ली, 27 नवंबर . बांग्लादेश की सरकार ने बुधवार को हाई कोर्ट में इस्कॉन को एक कट्टरपंथी धार्मिक संगठन बताया.

बांग्लादेश की मीडिया ने बताया कि एक रिट याचिका की सुनवाई के दौरान अदालत ने सरकार का प्रतिनिधित्व कर रहे अटॉर्नी जनरल मोहम्मद असदुज्जमान से इस्कॉन के बारे में पूछा. इस पर उन्होंने कहा, “यह एक धार्मिक कट्टरपंथी संगठन है. सरकार उसकी जांच कर रही है.”

बांग्लादेश में इस्कॉन के चिन्मय कृष्ण दास प्रभु की गिरफ्तारी के बाद स्थिति तनावपूर्ण हो गई है. मंगलवार को उनकी जमानत याचिका नामंजूर होने के बाद भीड़ ने एक वकील की भी हत्या कर दी थी.

बांग्लादेश के समाचार पत्र ‘डेली स्टार’ के अनुसार, हाई कोर्ट की जस्टिस फारह महबूब और जस्टिस देबाशीष रॉय चौधरी की बेंच ने सुप्रीम कोर्ट के वकील मोनिरुज्जमान की याचिक पर सुनवाई के दौरान सरकार से पूछा था कि वह इस्कॉन की रैलियों और चटगांव की मंगलवार की घटना समेत उसकी हालिया गतिविधियों के बारे में क्या कदम उठा रही है. अदालत ने अटॉर्नी जनरल से गुरुवार को सरकार के कदमों के बारे में जानकारी देने का आदेश दिया है.

याचिका में इस्कॉन को बांग्लादेश में प्रतिबंधित करने की मांग की गई थी.

अटॉर्नी जनरल ने हाई कोर्ट को बताया कि कुछ ताकतें देश को अस्थिर करने की कोशिश कर रही हैं. अदालत ने स्थिति पर चिंता जाहिर की.

सोमोय न्यूज के अनुसार, अटॉर्नी जनरल ने अदालत से कहा कि सरकार ने सभी राजनीतिक दलों से मसले पर चर्चा शुरू कर दी है.

चिन्मय कृष्ण दास बांग्लादेश के चटगांव स्थित इस्कॉन पुंडरीक धाम के प्रमुख हैं. उन्हें 25 नवंबर को शाम 4:30 बजे हजरत शाहजलाल इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर ढाका मेट्रोपॉलिटन पुलिस की डिटेक्टिव ब्रांच (डीबी) द्वारा हिरासत में लिया गया था. मंगलवार को उन्हें कड़ी सुरक्षा के बीच चटगांव के छठे मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट काजी शरीफुल इस्लाम के समक्ष पेश किया गया. मजिस्ट्रेट ने उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी और उन्हें जेल भेज दिया गया. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, उन पर देशद्रोह का आरोप लगा है.

चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी के बाद बांग्लादेश में बड़े पैमाने पर विरोध-प्रदर्शन शुरू हो गए. इस प्रदर्शन को रोकने के लिए बड़े पैमाने पर आंसू गैस के गोले दागे गए और लाठीचार्ज भी किया गया, जिसमें 50 से अधिक लोग घायल हो गए. गंभीर रूप से घायलों को अस्पताल में भर्ती करवाया गया है.

उनकी गिरफ्तारी पर भारत ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है और बांग्लादेश की अंतरिम सरकार से वहां हिंदुओं समेत सभी अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की अपील की है.

एकेजे/जीकेटी