कचरा नहीं है केले का छिलका, वैज्ञानिकों की रिसर्च में सामने आए सेहत से जुड़े कई फायदे

New Delhi, 26 अगस्त . लंबे समय से केला हमारे रोजमर्रा के खानपान का अहम हिस्सा रहा है. ये न सिर्फ स्वादिष्ट होता है, बल्कि शरीर को एनर्जी देने के लिए भी जाना जाता है. आमतौर पर केला खाने के बाद उसका छिलका कचरे में फेंक दिया जाता है. लेकिन वैज्ञानिक शोधों में सामने आया है कि जो छिलका हम बेकार समझकर फेंक देते हैं, वो असल में सेहत के लिए बेहद फायदेमंद साबित हो सकता है.

अमेरिकन नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन के मुताबिक, केले के छिलके में ऐसे कई प्राकृतिक तत्व होते हैं, जो शरीर के लिए फायदेमंद साबित हो सकते हैं. इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट और एंटी माइक्रोबियल शरीर में जमा हानिकारक कणों को बाहर निकालते हैं.

जापान के वैज्ञानिक सोमेया और उनके साथियों ने एक स्टडी में बताया कि केले के छिलके में गैलोकैटेचिन नाम का तत्व पाया जाता है, जो शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट होता है. ये हमारे शरीर को अंदर से साफ करता है और बीमारियों से लड़ने में मदद करता है. दूसरी ओर, इंडोनेशिया में हुई रिसर्च में पता चला कि छिलके में मौजूद फ्लावोनोइड्स, टैनिन, और सैपोनिन जैसे तत्व शरीर में ‘फ्री रेडिकल्स’ से मुकाबला करते हैं. ये फ्री रेडिकल्स वो कण होते हैं जो शरीर की कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाकर कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों का कारण बनते हैं.

रिसर्च में पाया गया कि छिलका में मौजूद एंटीबैक्टीरियल ई. कोलाई, साल्मोनेला और स्टेफाइलोकोक्स जैसे खतरनाक बैक्टीरिया को खत्म करने की ताकत रखता है, जो पेट की खराबी, बुखार और दूसरी बीमारियों का कारण बनते हैं. साथ ही दांत और मसूड़ों से जुड़ी बीमारियों वाले बैक्टीरिया को भी मारता है.

केले के छिलके में पाए जाने वाले गैलिक एसिड, फेरुलिक एसिड, और कैटेचिन जैसे तत्व फंगस से भी लड़ने की ताकत रखते हैं. कुछ रिसर्च में यह भी देखा गया कि जब केले के छिलकों का उपयोग नेचुरल कलर के रूप में भी होता है, तो भी उसकी एंटीबैक्टीरियल प्रॉपर्टी बरकरार रहती है. जैसे इस कलर का इस्तेमाल कपड़ों को रंगने में किया गया, तो वह रंग कपड़ों को बैक्टीरिया से भी बचाने में मददगार रहा.

पीके/एएस