कार्बन उत्सर्जन में कमी लाने में बांस निभा सकता है बड़ी भूमिका : एक्सपर्ट्स

नई दिल्ली, 17 दिसंबर . दुनिया में कार्बन उत्सर्जन में कमी लाने के लिए ऐसे सॉल्यूशन की आवश्यकता है, जो अधिक ऑक्सीजन पैदा करता हो और कार्बन का अधिक अवशोषण करता हो. बांस इन सभी मापदंड़ों पर खरा उतरता है. यह बयान एक्सपर्ट्स द्वारा मंगलवार को दिया गया.

राष्ट्रीय राजधानी में नेट जीरो के लक्ष्य को पाने के लिए सार्क रीजन में बांस की भूमिका पर हुए एक कार्यक्रम के साइडलाइन में से बातचीत करते हुए फांडेशन फॉर एमएसएमई क्लस्टर (एफएमसी) के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर, मुकेश गुलाटी ने कहा कि बांस एक ऐसी घास है, जो अन्य पेड़ -पौधो की तुलना में अधिक कार्बन अवशोषित करती है. इसकी वजह बांस का तेजी से बढ़ना है. पूरे सार्क सीजन में बांस को उगाने के लिए परिस्थितियां अनुकूल हैं.

उन्होंने आगे कहा कि बांस के काफी सारे उपयोग है. इसका उपयोग ऐसे प्रोडक्ट्स (फर्नीचर और कंस्ट्रक्शन उत्पाद) बानने में किया जा सकता है, जिनमें कार्बन लॉक हो सकता है. साथ ही बताया कि बांस से आप चारकोल बनाकर जमीन में उसका उपयोग करते हैं तो यह अन्य पेड़-पौधों को भी तेजी से बढ़ने में मदद करता है.

तरयाबा फाउंडेशन में फील्ड ऑफिसर, सोनम ग्याल्त्शेन ने कहा कि भारत बांस उगाने के क्षेत्र में काफी अच्छा काम कर रहा है और चीन के बाद लीडर की भूमिका में है. हम भूटान में लोगों की बांस के वृक्षारोपण में जमीनी स्तर पर मदद कर रहे हैं. इसके लिए हम लोगों को तकनीकी समर्थन भी प्रदान करते हैं.

एफएमसी ने नई दिल्ली के कपास हेरा स्थित डेवेंचर सरोवर पोर्टिको में “जस्ट ट्रांजिशन टू नेट जीरो – बांस की भूमिका” शीर्षक से एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन को आयोजित किया. यह कार्यक्रम “सार्क देशों के बीच एकीकृत बांस-आधारित उद्यम विकास को बढ़ावा देना” परियोजना का हिस्सा है, जिसे 2017 में सार्क डेवलपमेंट फंड के समर्थन से लागू किया गया है.

एबीएस/