क्वेटा, 9 अगस्त . बलूच मानवाधिकार कार्यकर्ता मीर यार बलूच ने Saturday को पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की कड़ी आलोचना करते हुए कहा कि वे फिलिस्तीनी जनता की दुर्दशा पर तो दुनिया के सामने चिंता जताते हैं, लेकिन अपने ही देश में बलूचिस्तान के लोगों के खिलाफ जारी “क्रूर आतंकवाद” और दशकों से चल रहे युद्ध को छुपाते हैं.
मीर यार बलूच ने आरोप लगाया कि पाकिस्तान न्याय, मानवाधिकार और फिलिस्तीनियों के मुद्दे पर दुनिया को भाषण देता है, लेकिन बलूचिस्तान में बड़े पैमाने पर मानवाधिकार का उल्लंघन कर रहा है.
उनकी यह प्रतिक्रिया उस समय आई जब प्रधानमंत्री शरीफ ने सोशल मीडिया पर इजरायली कैबिनेट द्वारा गाजा सिटी पर कब्जे की योजना को अवैध और गैरकानूनी करार देते हुए निंदा की.
मीर ने एक्स पर लिखा, “पाकिस्तान की कपटपूर्ण नीति साफ है. यह फिलिस्तीनियों के लिए मगरमच्छ के आंसू बहाता है, जबकि बलूच जनता की स्वतंत्रता की लड़ाई को बर्बरता और आतंकवाद के जरिए कुचल रहा है. अगर इस्लामाबाद को सच में स्वतंत्रता, न्याय और मानवाधिकारों पर विश्वास है, तो उसे पहले बलूचिस्तान पर अपना अवैध कब्जा खत्म करना चाहिए और बलूच जनता को शांति से अपना भविष्य तय करने देना चाहिए.”
मानवाधिकार कार्यकर्ता ने आरोप लगाया कि पाकिस्तान की “कब्जे वाली सेनाएं” वही अपराध कर रही हैं, जिनका वह इजरायल पर आरोप लगाता है, जैसे पूरे गांवों का जबरन विस्थापन, सुनियोजित दमन, फर्जी मुठभेड़ों में हत्याएं, नागरिक इलाकों पर हवाई बमबारी, बड़े पैमाने पर जबरन गुमशुदगी, सांस्कृतिक पहचान का मिटाना और रोज़गार के साधनों का नष्ट करना.
उन्होंने कहा, “जिस तरह पाकिस्तान गाजा में ‘अंतरराष्ट्रीय हस्तक्षेप’ की मांग करता है, उसी तरह उसने बलूचिस्तान को अंतरराष्ट्रीय मानवीय संगठनों, पत्रकारों और मानवाधिकार पर्यवेक्षकों से पूरी तरह अलग-थलग कर दिया है. यहां न विदेशी सहायता की अनुमति है, न संयुक्त राष्ट्र की जांच टीमों को आने दिया जाता है और न ही कोई स्वतंत्र मानवीय मदद पीड़ितों तक पहुंच पाती है.”
मीर ने दावा किया कि बलूचिस्तान के लाखों लोगों को इंटरनेट सेवा से वंचित कर दिया गया है और पाकिस्तान की सेना ने इस पर अवैध आदेश जारी किया है.
उन्होंने कहा कि दुनिया को पाकिस्तान के फिलिस्तीन मुद्दे पर नैतिक रुख को एक छलावे के रूप में पहचानना चाहिए, जो बलूचिस्तान में उसके अपने “युद्ध अपराधों” से ध्यान भटकाने का प्रयास है. जैसे वह गाजा के निर्दोष नागरिकों की सुरक्षा की बात करता है, वैसे ही बलूचिस्तान के लोगों के लिए भी यह आवाज उठनी चाहिए, जो सात दशक से अधिक समय से सैन्य दमन झेल रहे हैं.
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डीएससी/