बलूच नेता ने पाकिस्तानी हुक्मरानों को बताया ‘दमनकारी और बेरहम’

वाशिंगटन, 3 नवंबर . बलूच अमेरिकन कांग्रेस के अध्यक्ष तारा चंद ने Monday को Pakistanी हुक्मरानों की आलोचना करते हुए कहा कि उन्होंने मानवाधिकार संगठन बलूच यकजेहती कमेटी (बीवाईसी) के नेताओं को सात महीने से ज्यादा समय से जेल में रखा हुआ है जो एक “क्रूर साजिश” का हिस्सा है.

चांद ने दावा किया कि बीवाईसी की प्रमुख संगठक महरंग बलूच, बेबर्ग बलूच और सिबगतुल्लाह शाह जैसे नेताओं के साथ-साथ कार्यकर्ता बीबो बलूच और गुलजादी बलूच का जेल में काफी उत्पीड़न किया जा रहा है. उन्होंने आगे कहा कि महरंग, जिन्हें “बलूच राष्ट्र के विरोध” का प्रतीक माना जाता है, हिरासत में असहनीय पीड़ा झेल रही हैं.

बलूच नेता ने Monday को एक्स पोस्ट में लिखा, “Pakistanी हुक्मरान जालिम और बेरहम हैं. अदालतें, प्रांतीय Government और सभी संस्थान उनके नियंत्रण में हैं. Pakistan की सेना और एजेंसियां ​​कभी भी अपनी मर्जी से महरंग बलूच को रिहा नहीं करेंगी क्योंकि वह बलूचों की आवाज और ताकत का प्रतिनिधित्व करती हैं.”

पोस्ट में आगे कहा गया, “महरंग बलूच ने अपना जीवन, अपने लोगों के अस्तित्व और बलूच राष्ट्र के खिलाफ चल रहे नरसंहार का विरोध करने के लिए समर्पित कर दिया है. आज, इतिहास बलूच लोगों के साहस की परीक्षा ले रहा है. हमें उठना होगा, शांतिपूर्ण विरोध करना होगा, और बलूचिस्तान में तब तक अपना संघर्ष जारी रखना होगा जब तक डॉ. महरंग बलूच और जेल में बंद सभी अन्य नेताओं को रिहा नहीं कर दिया जाता.”

चांद ने बलूचिस्तान के लोगों से महरंग बलूच और बीवाईसी के अन्य नेताओं की आजादी के लिए एकजुट होने और एक संयुक्त आंदोलन शुरू करने की अपील की.

उन्होंने कहा, “बलूचिस्तान से प्यार करने वाली सभी देशभक्त और लोकतांत्रिक पार्टियों को इस मकसद के लिए एक साथ आना चाहिए. अब समय आ गया है कि हर बलूच, हर कोने से, उठे और आजादी के लिए मिलकर संघर्ष करे.”

बलूच नेता ने आगे कहा कि हर बलूच का यह नैतिक कर्तव्य है कि वह मजबूती से खड़ा रहे, एकजुट हो और “बलूच राष्ट्र की आजादी और गरिमा” के लिए महरंग बलूच और बीवाईसी के अन्य नेताओं की रिहाई के लिए संघर्ष जारी रखे.

पिछले हफ्ते, बीवाईसी ने Pakistan की एंटी-टेररिज्म कोर्ट (एटीसी) में अपने नेताओं और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के जेल ट्रायल की निंदा करते हुए इसे कानूनी आड़ में Political बदला बताया था.

संगठन ने कहा कि मानवाधिकार रक्षक पिछले सात महीनों से हिरासत में हैं, और पहले तीन महीनों तक उन्हें मेंटेनेंस ऑफ पब्लिक ऑर्डर (एमपीओ) के तहत “अवैध रूप से” हिरासत में रखा गया था.

इसके बाद, उन्होंने कहा कि उनको हिरासत में रखने के लिए उनके खिलाफ “झूठे मामले और मनगढ़ंत First Information Report ” दर्ज किए गए.

बीवाईसी ने पूरी प्रक्रिया को न केवल बुनियादी मानवाधिकारों का उल्लंघन बल्कि Political बदले और राज्य के उत्पीड़न का एक स्पष्ट उदाहरण बताया.

केआर/