आयुर्वेदिक चमत्कार : सेहत के लिए संजीवनी है वासा का पौधा

नई दिल्ली, 11 मार्च . एक पुरानी कहावत है कि प्राकृतिक जड़ी-बूटियों में हर मर्ज की दवा छिपी होती है. ऐसा ही एक औषधीय पौधा है वासा, जिसे अडूसा के नाम से भी जाना जाता है. वासा का वैज्ञानिक नाम जस्टिसिया अधाटोडा है और इसे आमतौर पर अंग्रेजी में मालाबार नट के नाम से भी जाना जाता है. गांवों में इसे “रूस” भी कहते हैं. इसकी पत्तियां, जड़, फूल और फल कई बीमारियों में रामबाण साबित होते हैं. वासा में भरपूर मात्रा में पोषक तत्व पाए जाते हैं, जो हमें कई गंभीर बीमारियों से बचाने में मदद करते हैं.

प्राचीनकाल से ही वासा का इस्तेमाल सर्दी-जुकाम के इलाज में किया जाता रहा है. इसके फूलों से निकलने वाला शहद जैसा रस सेहत के लिए बेहद फायदेमंद होता है. आयुर्वेद के अनुसार, वासा वात, पित्त और कफ को संतुलित करने में मदद करता है. यह सिरदर्द, आंखों की बीमारी, पाइल्स, मूत्र विकार और कई अन्य समस्याओं में राहत दिलाता है.

अडूसा के 2-3 पत्तों को चबाने या इसकी लकड़ी का दातुन करने से मुंह के घाव और छाले जल्दी ठीक होते हैं. वासा के पत्तों के काढ़े से कुल्ला करने पर दांत दर्द में आराम मिलता है.

वासा के सूखे फूलों का चूर्ण गुड़ के साथ खाने से सिरदर्द गायब हो जाता है. इसमें मौजूद एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण जोड़ों के दर्द को कम करने में सहायक हैं. इसका पाउडर या पत्तियों का लेप लगाकर दर्द से राहत पाई जा सकती है.

श्वास संबंधी बीमारियों में भी वासा बहुत उपयोगी है. इसके पत्तों का रस शहद के साथ लेने से सूखी खांसी और सांस फूलने की समस्या दूर होती है. वासा के काढ़े में छोटी पीपल का चूर्ण मिलाकर पीने से टीबी और पुरानी खांसी में राहत मिलती है.

10-20 मिली वासा के पत्तों का रस दिन में 3-4 बार पीने से पेट की समस्याओं में फायदा होता है. वासा के पंचांग (पत्ते, जड़, फूल, फल, तना) का रस शहद और मिश्री के साथ लेने से पीलिया भी जल्दी ठीक होता है. वासा और नीम के पत्तों को गर्म करके सेंकने से किडनी के दर्द में काफी सुधार होता है.

वासा के पत्तों को पानी के साथ पीसकर लगाने से फोड़ा जल्दी सूख जाता है. ऐसे में वासा को विभिन्न रूपों में उपयोग किया जा सकता है. जैसे- इसका रस, काढ़ा, पाउडर या लेप. सही मात्रा और विधि से इसका सेवन करने पर यह शरीर के लिए संजीवनी बूटी की तरह काम करता है.

डीएससी/एएस