भाषा के नाम पर व्यापारी पर हमला संविधान पर प्रहार : अखिलेश प्रसाद सिंह

New Delhi, 1 जुलाई . Mumbai में एक हिंदी भाषी व्यापारी के साथ कथित रूप से मराठी नहीं बोलने पर मनसे कार्यकर्ताओं ने मारपीट की. इस घटना पर Political सरगर्मियां तेज हो गई है. कांग्रेस के राज्यसभा सांसद अखिलेश प्रसाद सिंह ने इस घटना की कड़ी निंदा करते हुए कहा है कि यह India के संघीय ढांचे और संविधान की आत्मा पर सीधा हमला है.

समाचार एजेंसी से खास बातचीत में अखिलेश प्रसाद सिंह ने कहा कि India का संविधान हर नागरिक को देश के किसी भी हिस्से में जाकर रहने, काम करने और व्यापार करने की अनुमति देता है. ऐसे में किसी को सिर्फ भाषा के आधार पर पीटना निंदनीय है. इसकी जितनी भी निंदा की जाए, वो कम है. दोषियों के खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए.

उन्होंने आगे कहा कि एक तरफ Narendra Modi और अमित शाह बिहार आकर वोट मांगते हैं, तरह-तरह के वादे करते हैं, दूसरी ओर उन्हीं की Government में ऐसी घटनाएं होती हैं तो यह दोहरे चरित्र को दिखाता है. बिहारी स्वाभिमानी हैं, वे इस अपमान को बिल्कुल बर्दाश्त नहीं करेंगे और आगामी चुनाव में इसका जवाब देंगे.

Prime Minister मोदी के आगामी ब्रिक्स सम्मेलन दौरे और त्रिनिदाद और टोबैगो की संसद के संयुक्त सत्र को संबोधित करने की खबर पर प्रतिक्रिया देते हुए अखिलेश प्रसाद सिंह ने कहा कि यह ठीक है कि Prime Minister देश का प्रतिनिधित्व करते हैं और सर्वोच्च पद पर बैठे हैं, लेकिन India की विदेश नीति आज कमजोर और दिशाहीन नजर आती है. हमने जो लड़ाई (आतंकवाद के खिलाफ) शुरू की थी, उसे अंजाम तक नहीं पहुंचाया गया. आज तक किसी आतंकी की शिनाख्त नहीं हुई, न ही किसी को सजा मिली. अरबों रुपए इस पर खर्च हो गए, लेकिन नतीजा शून्य है.

अखिलेश सिंह ने आगे कहा कि आज India पूरी दुनिया में अलग-थलग पड़ गया है. कोई भी पड़ोसी देश हमारे साथ खुलकर नहीं खड़ा हुआ. Pakistan को हम चाहे जितनी बार आतंकवाद का अड्डा कहें, लेकिन दुनिया के किसी बड़े देश ने हमारे पक्ष में खुलकर समर्थन नहीं दिया. ये हमारे विदेश मंत्रालय और Government की कूटनीतिक हार है.

बिहार विधानसभा चुनाव से पहले मतदाता सूची पुनरीक्षण पर अखिलेश प्रसाद सिंह ने कहा कि यह सिर्फ कांग्रेस नहीं, पूरे महागठबंधन की चिंता है. हम जल्द ही चुनाव आयोग से मुलाकात करेंगे और अगर हमारी बात नहीं मानी जाती है, तो हम Supreme court का दरवाजा भी खटखटाएंगे. इतने कम समय में सभी मतदाताओं की जानकारी जुटाना व्यावहारिक रूप से असंभव है. बिहार के लोग सब समझते हैं. यदि आयोग निष्पक्ष नहीं रहा, तो कानूनी विकल्प ही एकमात्र रास्ता होगा.

पीएसके/एबीएम