‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर सवाल पूछ विपक्ष भारत की छवि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर धूमिल करने की कोशिश न करे: चिराग पासवान

नई दिल्ली, 23 मई . ऑपरेशन सिंदूर पर विपक्ष के सवाल, सीज फायर को लेकर नुक्ता-चीनी देश की छवि को नुकसान पहुंचाता है और ऐसा लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के राष्ट्रीय अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान मानते हैं. समाचार एजेंसी से एक्सक्लूसिव बातचीत में उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संकल्प और उनके समर्पण की सराहना की और माना कि उनकी अगुवाई में देश का इकबाल बुलंद हो रहा है.

सवाल: ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद भारत सरकार की ओर से विदेश भेजे गए सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल को आप कितना जरूरी मानते हैं?

जवाब: देखिए, यह जरूरी है क्योंकि जिस तरीके से हमारे देश के ऊपर एक कायराना और शर्मनाक आतंकी हमला किया गया, उसके बाद ये जरूरी है कि ऑपरेशन सिंदूर के माध्यम से भारत की सेना ने जो शौर्य और पराक्रम का परिचय देने का काम किया, ये बात दुनिया को जानना जरूरी है. उसके लिए जिस तरीके से सांसदों का यह प्रतिनिधिमंडल तैयार किया गया, जो विदेशों के अलग-अलग देशों में जाकर भारत का पक्ष रखने का काम करेगा, ऐसे में सही तस्वीर दुनिया के सामने आनी जरूरी है कि किस तरीके से हमारे सैनिकों ने बिना किसी नागरिक को नुकसान पहुंचाए, बिना किसी तरीके से उनके ऊपर किसी भी तरीके का अटैक किए, सिर्फ उन आतंकी अड्डों को ध्वस्त करने का काम किया, जिसको हमारा पड़ोसी देश लंबे समय से पालने-पोसने का काम करता था. चिराग ने कहा कि इसके पूर्व में भी परंपरा रही है, इससे पहले भी जब ऐसा होता था, तो इस तरह के प्रतिनिधिमंडल विदेश जाकर भारत का प्रतिनिधित्व करते थे. इन प्रतिनिधिमंडल से दुनिया को भारत की सही तस्वीर पता चले, इस उद्देश्य के साथ ही भेजा गया है.

सवाल: विपक्ष सीजफायर, ऑपरेशन सिंदूर और पीओके के मुद्दे पर केंद्र सरकार पर आरोप लगा रही है कि यह मौका था जब हम पीओके हासिल कर सकते थे. विपक्ष के इन बयानों को आप कैसे देखते हैं?

जवाब: क्या ये समय है ये सारी बातें करने का? मतलब आज के इस समय में जब आतंकवाद के खिलाफ पूरे देश को एकजुट होने की जरूरत है, तो विपक्ष क्या कर रहे हैं और खासतौर पर कांग्रेस जैसी पार्टियां? आप तो पाकिस्तान के स्वर में ही स्वर मिलाने का काम कर रहे हैं. जो सवाल वो पूछ रहे हैं, वही सवाल तो आप भी पूछ रहे हैं हमारी सरकार से. क्या आपको लगता है कि यह सही समय है? बहुत समय है सवाल पूछने के लिए, जितनी मर्जी उतने सवाल पूछें, लेकिन अभी नहीं. थोड़ा समय बीतने दीजिए. दुनिया के सामने भारत को एज वन यूनिट हमें रखने दीजिए. आज जो सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल डेलीगेशन गया है, उसमें कोई किसी पार्टी का प्रतिनिधित्व नहीं कर रहा है. वो विदेश में भारत का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं. वो इसी सोच के साथ गए हैं और यहां आप इस तरीके से सवाल उठाएंगे तो यह ठीक नहीं है. सवाल पूछने के लिए बहुत समय है. कोई भागा नहीं जा रहा है. प्रधानमंत्री मोदी 2029 तक हैं. विपक्ष को जितने सवाल पूछने हैं, वो पूछ सकते हैं. लेकिन, विपक्ष क्या चाहता है कि आपके सवालों से भारत बंटा हुआ दिखाई दे? अगर यही भूमिका अगर आने वाले दिनों में भी विपक्ष की रही, तो कहीं न कहीं यह भारत की छवि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर धूमिल करके ही दिखाने का काम करेगी.

सवाल: आप पीएम मोदी के बीकानेर में दिए उस बयान को कैसे देखते हैं, जिसमें पीएम मोदी ने कहा, “सिंदूर मिटाने वालों को हमने मिट्टी में मिला दिया.”

जवाब: देखिए, ये ऑपरेशन सिंदूर अपने आप में एक न्याय का प्रतीक है. जिस तरीके से इस आतंकी हमले में हमारी बहनों ने अपने सुहाग खोए, ऐसे में इस नाम से ही इस ऑपरेशन का नाम रखा गया. यह अपने में भावनात्मक न्याय दिलाने का काम करता है, एक इमोशनल जस्टिस आपको मिलता है और मैं मानता हूं इस नाम का एक बहुत बड़ा महत्व है. जिस तरीके से प्रधानमंत्री मोदी ने कड़े शब्दों में पुनः अपनी बातों को रखने का काम किया, यह उनके उस दृढ़ निश्चय को दिखाता है, जो उन्होंने मेरे ही बिहार की धरती से लिया था. पीएम मोदी जब मधुबनी में आए थे, तो उन्होंने स्पष्ट तौर पर कहा था कि आतंकवादियों को कल्पना से भी ज्यादा बड़ा जवाब दिया जाएगा. मुझे लगता है उसी तरीके का जवाब भारत और भारतीय सेना के द्वारा आतंकियों को दिया गया.

सवाल: आपने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मुलाकात के बाद क्यों कहा कि आप बिहार आ रहे हैं?

जवाब: मेरे मुख्यमंत्री इस बात को अच्छी तरीके से जानते हैं कि मैं बिहार और बिहारियों के लिए ही राजनीति में आया हूं और उन्होंने हमेशा इस बात की सराहना की है. यकीनन उस दिन जब मैंने उनसे मुलाकात की, तो कई और राजनीतिक विषय के साथ-साथ बिहार चुनाव भी चर्चा का विषय था. मेरी पार्टी चाहती है कि मैं बिहार में और ज्यादा समय दूं और इन चुनावों में एक सक्रिय भूमिका निभाऊं. मुझे लगता है कि मुख्यमंत्री पूरी तरीके से इस बात से संतुष्ट और खुश हैं और वो चाहते हैं कि पार्टी की एक अहम भूमिका आने वाले दिनों में विधानसभा के चुनाव में हो, जिसका यकीनन लाभ पूरे गठबंधन को मिलेगा. यह अलायंस एकजुट है और हम लोग चुनाव की ओर अग्रसर हो रहे हैं. उपचुनाव परिणाम से हम लोगों का उत्साह बढ़ा हुआ है. हम लोग मानते हैं कि अगर उपचुनाव में 4 की 4 100 फीसदी स्ट्राइक रेट, एनडीए प्रत्याशियों का रहा है, तो यकीनन बिहार विधानसभा चुनाव परिणामों के बाद भी 225 से ज्यादा सीटें जीतकर हम लोग सरकार बनाएंगे.

सवाल: एक वीडियो आपकी वायरल हो रही है, जिसमें तेजस्वी यादव से आपकी मुलाकात हुई. दूसरी ओर प्रशांत किशोर आपकी तारीफ कर रहे हैं. इसके क्या मायने हैं?

जवाब: मुलाकात होने से क्या सभी के साथ गठबंधन तो नहीं हो सकता. मैं पहले भी कह चुका हूं कि जब तक मेरे प्रधानमंत्री मोदी हैं, तब तक मेरे लिए किसी भी वैकल्पिक गठबंधन की सोच रखना भी संभव नहीं है. ऐसा होता तो 2020 में जब मैं गठबंधन से अलग हुआ था, तो मैं किसी वैकल्पिक गठबंधन में जाता. हो सकता था कि मेरा प्रदर्शन बहुत ज्यादा बेहतर रहता और बिहार में हम लोग एक मजबूत स्थिति में होते. पर उस वक्त भी मैंने गठबंधन से अलग होकर अकेले चुनाव लड़ना मैंने पसंद किया, न कि किसी गठबंधन के वैकल्पिक गठबंधन का हिस्सा बनना. जिस वीडियो का जिक्र आया है, तो मैं बताना चाहता हूं कि तेजस्वी मेरे छोटे भाई हैं, उनके परिवार को हमेशा मैंने अपना परिवार माना है. लालू प्रसाद यादव मेरे लिए पिता तुल्य हैं. राबड़ी देवी मेरी मां जैसी हैं, इस बात को हमेशा मैंने स्वीकार किया है. ऐसे में वो परिस्थिति जहां पर उनसे मेरी मुलाकात हुई, ये भी भारत के लोकतंत्र की उन खूबसूरत तस्वीरों में से है, जहां पक्ष, विपक्ष सब एकजुट होकर हमारे शहीद और उनके परिवारों के लिए खड़ा है. जहां तेजस्वी यादव भी शहीद परिवार से ही मिलने गए थे, जिन्होंने अपनों को खोया, वहीं उस कार्यक्रम में मैं भी पहुंचा था, उस दौरान हमारी मुलाकात हुई. मुझे नहीं लगता कि इससे ज्यादा इसके कोई और मायने निकालने की जरूरत है.

सवाल: तेजस्वी यादव, प्रशांत किशोर, कन्हैया कुमार जैसे युवा बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर मैदान में उतर चुके हैं. क्या आप भी चुनावी मैदान में दिखाई देंगे?

जवाब: बिल्कुल दिखेंगे. देखिए, यह कितनी अच्छी बात है कि बिहार के लोगों को ज्यादा से ज्यादा विकल्प मिलेंगे. हमारे प्रदेश के लोगों के पास सही विचारधारा चुनने का मौका है. मुझे लगता है कि जो सर्वश्रेष्ठ होगा, वो चुनाव जीतेगा. मैं मानता हूं, उसमें हमारा गठबंधन आज की तारीख में सर्वश्रेष्ठ है.

सवाल: जैसा 2020 था, क्या वैसा ही 2025 भी आपके लिए होगा?

जवाब: किन मायनों में सवाल पूछा जा रहा है? क्योंकि 2020 तो हमने अकेले चुनाव लड़ा था, 2025 में गठबंधन के साथ मजबूती से खुद को देख रहा हूं. इस गठबंधन में हम लोग चुनाव लड़ेंगे, गठबंधन चुनाव जीतेगा, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार एक बार फिर से हमारे प्रदेश के मुख्यमंत्री बनेंगे. कितनी सीटों पर चुनाव लड़ूंगा, यह सवाल इतना आसान होता तो ये आंकड़े आप सबके पास होते. ऐसा नहीं है कि आप लोगों के पास नहीं है. न्यूज चैनल पर रोज मैं अपनी नई दावेदारी गठबंधन के भीतर सुनता ही रहता हूं. लेकिन, मैं गठबंधन की मर्यादा को नहीं तोड़ूंगा. अगर मैं किसी भी संख्या का जिक्र सार्वजनिक मंच पर पहले और गठबंधन के भीतर बाद में करूं, मुझे लगता है ये तमाम विषय गठबंधन के भीतर पहले सुलझाना जरूरी है. गठबंधन में शामिल हम पांचों दल, एकसाथ आकर सही जानकारी साझा करेंगे.

डीकेएम/केआर