अश्वगंधा सिर्फ एक जड़ी-बूटी नहीं, संपूर्ण शक्ति का स्रोत भी, जानिए इसके चमत्कारी फायदे

New Delhi, 12 सितंबर . आयुर्वेद में अश्वगंधा को एक रसायन औषधि कहा गया है, जो शरीर के सातों धातुओं, रस, रक्त, मांस, मेद, अस्थि, मज्जा और शुक्र, को पुष्ट करता है. अश्वगंधा का उपयोग शरीर की संपूर्ण शक्ति, प्रतिरोधक क्षमता और मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में होता है.

आयुर्वेद के अनुसार, अश्वगंधा एक सर्वश्रेष्ठ मानसिक टॉनिक है. यह मस्तिष्क को शांत करता है, कॉर्टिसोल (तनाव हार्मोन) के स्तर को घटाता है और नर्वस सिस्टम को संतुलित करता है. जिन लोगों को अत्यधिक चिंता या नींद न आने की समस्या हो, उनके लिए अश्वगंधा अत्यंत लाभकारी है.

अश्वगंधा को आयुर्वेद में एक बल्य (शक्ति देने वाली) औषधि माना गया है. यह मांसपेशियों की मजबूती बढ़ाने, थकावट दूर करने और शरीर की सहनशक्ति (स्टैमिना) को बढ़ाने में मदद करता है. व्यायाम करने वालों और एथलीट्स के लिए यह बहुत उपयोगी माना जाता है.

आयुर्वेद के अनुसार, अश्वगंधा शरीर की ओज बढ़ाता है, जिससे रोगों से लड़ने की शक्ति बढ़ती है. इसका नियमित रूप से सेवन करने से शरीर को संक्रमण, बैक्टीरिया और वायरल बीमारियों से लड़ने में मदद मिलती है.

पुरुषों के लिए अश्वगंधा वीर्यवर्धक और शुक्रधातु को पोषण देने वाली मानी गई है. यह स्पर्म की क्वालिटी और काउंट बढ़ाने में सहायक है. महिलाओं में यह मासिक धर्म की अनियमितता को संतुलित करता है.

अश्वगंधा शरीर की कोशिकाओं को पोषण देता है, एंटीऑक्सीडेंट के रूप में कार्य करता है और बुढ़ापे की प्रक्रिया को धीमा करता है. यह ऊर्जा, याददाश्त और जीवन शक्ति बनाए रखने में मदद करता है.

रात को सोने से पहले गुनगुने दूध में अश्वगंधा का पाउडर मिलाकर पीना अच्छा माना जाता है. हालांकि, इसके अत्यधिक सेवन से आलस्य बढ़ता है. गर्भवती महिलाओं को इसका सेवन करने से पहले आयुर्वेदाचार्य की सलाह जरूर लेनी चाहिए. वहीं, बीपी और थायराइड के मरीजों को बिना सलाह के इसका सेवन नहीं करना चाहिए.

प्रतीक्षा/एबीएम