श्रीलंका में ‘ऑपरेशन पवन’ में शहीद हुए जवानों को सेनाध्यक्ष की श्रद्धांजलि

New Delhi, 25 नवंबर श्रीलंका में शहीद हुए भारतीय सैनिकों को Tuesday को New Delhi में श्रद्धांजलि दी गई. भारतीय सेना के ये जवान शांति सेना के तौर पर श्रीलंका में तैनात थे. थल सेनाध्यक्ष जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने श्रीलंका में चलाए गए ऐतिहासिक ‘ऑपरेशन पवन’ में शहीद हुए भारतीय सैनिकों को समर्पित पहली आधिकारिक स्मृति-श्रद्धांजलि का नेतृत्व किया.

यह श्रद्धांजलि कार्यक्रम भारतीय सशस्त्र बलों द्वारा पहली बार औपचारिक रूप से आयोजित किया गया, जिससे 1987 से 1990 के बीच एलटीटीई के खिलाफ चलाए गए इस महत्वपूर्ण अभियान में शहादत देने वाले वीरों को सामूहिक राष्ट्रीय सम्मान प्रदान किया गया.

समारोह के दौरान जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने शहीद स्मारक पर पुष्पांजलि अर्पित की और उनकी अदम्य वीरता, कर्तव्यनिष्ठा और राष्ट्र के प्रति सर्वोच्च बलिदान को नमन किया.

रक्षा विशेषज्ञों और पूर्व सैन्य अधिकारियों का कहना है कि ‘ऑपरेशन पवन’ भारतीय सेना के इतिहास का ऐसा अध्याय है, जिसमें हमारे जवानों ने बेहद कठिन परिस्थितियों में अद्वितीय साहस का परिचय दिया. उनका बलिदान सदैव राष्ट्र को प्रेरित करता रहेगा. इस अवसर पर कई शहीद सैनिकों के परिजन भी यहां New Delhi में उपस्थित रहे. परिजनों के लिए यह पल अत्यंत भावुक और गर्व से भरा रहा.

सेना ने परिजनों को विशेष रूप से आमंत्रित किया था ताकि उन्हें यह महसूस हो कि देश उनके प्रियजनों के बलिदान का सदैव ऋणी रहेगा. समारोह में सेना के वरिष्ठ अधिकारी, विभिन्न रेजिमेंटों के प्रतिनिधि और पूर्व-सैनिक भी शामिल हुए.

कार्यक्रम के दौरान ‘ऑपरेशन पवन’ से जुड़ी स्मृतियों, सैनिकों के किस्सों और उनके योगदान को भी साझा किया गया.

रक्षा विशेषज्ञों ने बताया कि यह अभियान भारतीय शांति सेना के इतिहास का सबसे चुनौतीपूर्ण सैन्य ऑपरेशन था, जिसमें भारी प्रतिकूल परिस्थितियों के बावजूद भारतीय सैनिकों ने असाधारण वीरता से अपने दायित्वों का निर्वहन किया.

पूर्व सैनिकों का मानना है कि यह आधिकारिक स्मरण समारोह केवल एक श्रद्धांजलि नहीं, बल्कि आने वाली पीढ़ियों को यह संदेश देने का प्रयास है कि राष्ट्र अपने नायकों के बलिदान को कभी भुला नहीं सकता. इसके जरिए शहीदों के परिवारों को आश्वस्त किया गया है कि भारतीय सेना सदैव उनके साथ खड़ी है और उनके त्याग का सम्मान हर स्तर पर किया जाएगा.

इस ऐतिहासिक पहल को भारतीय सेना की ‘वीरता के इतिहास को संरक्षित करने’ की श्रृंखला में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है, जो सैन्य परंपराओं और शौर्य गाथाओं को औपचारिक रूप से मान्यता देने की दिशा में नई शुरुआत है.

जीसीबी/एसके