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New Delhi, 19 नवंबर . Dubai एयर शो 2025 के दौरान हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) ने जर्मनी की एक कंपनी के साथ एक महत्वपूर्ण समझौता किया है. यह समझौता हेलीकॉप्टर अवरोध-टकराव रोकथाम प्रणाली व धूल, धुंध, धुएं या अंधकार जनित कम दृश्यता की स्थिति से निपटने के लिए किया गया है.
यह समझौता इससे जुड़ी तकनीक के डिजाइन ट्रांसफर, बौद्धिक संपदा अधिकार के हस्तांतरण और निर्माण व मरम्मत से संबंधित है.
एचएएल का मानना है कि यह तकनीक भविष्य के हेलीकॉप्टर संचालन में सुरक्षा और विश्वसनीयता को नई ऊंचाइयों पर ले जाने में सक्षम होगी. समझौते के अनुसार डिजाइन ट्रांसफर व बौद्धिक अधिकार के पूर्ण हस्तांतरण को मंजूरी मिलती है. इससे एचएएल को इस महत्वपूर्ण कोर तकनीक तक पहुंच मिलेगी, जिससे India में इसे स्वदेशी रूप से विकसित, निर्मित और मेंटेन किया जा सकेगा.
यह उन्नत प्रणाली हेलीकॉप्टरों को पेड़, केबल, विभिन्न संरचनाओं या सीमित विजिबिलिटी में आने वाले अवरोधों से बचने की क्षमता प्रदान करती है. खास बात यह है कि यह तकनीक अभी बहुत कम देशों के पास है. इससे हेलीकॉप्टर प्लेटफॉर्मों की सुरक्षा में बड़ा सुधार होगा. विशेषकर सैन्य व आपदा राहत मिशनों में यह तकनीक विशेष कारगर है.
आपदा राहत मिशनों को अविलंब उड़ान भरने की आवश्यकता होती है. कई बार खराब मौसम या धूल, धुंध तथा रात के समय उड़ान भरने की आवश्यकता पड़ती है. ऐसी स्थिति में यह तकनीक हेलीकॉप्टर को तुरंत राहत पहुंचाने में सक्षम बनाती है.
इस समझौते पर एचएएल-कोरवा के कार्यकारी निदेशक रवि प्रकाश और जर्मनी की एक कंपनी के एयरबोर्न सॉल्यूशंस के हेड ऑफ सेल्स यूजेन मायर ने हस्ताक्षर किए. इस अवसर पर एचएएल के निदेशक (ऑपरेशंस) रवि के और विदेशी कंपनी के इंडिया रीजन के बिजनेस डेवलपमेंट हेड अंदलीब शादमान सहित दोनों संस्थानों के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे.
इस मौके पर एचएएल के सीएमडी डॉ. डीके सुनील ने कहा कि यह साझेदारी India में हेलिकॉप्टर अवरोध-टकराव रोकथाम प्रणाली व धूल, धुंध, धुएं या अंधकार जनित कम दृश्यता की स्थिति से निपटने की तकनीक के स्वदेशी विकास को मजबूत करेगी.
इस समझौते से India एक अत्याधुनिक तकनीक आधारित हेलिकॉप्टर विकसित करेगा. साथ ही India इन हेलीकॉप्टर का स्वामित्व भी रखेगा. यह क्षमता आज विश्व के कुछ ही देशों के पास है. एचएएल और जर्मनी की कंपनी ने मिलकर इसके डिजाइन, निर्माण, इंटीग्रेशन और परीक्षण पर कार्य करेंगे.
साथ ही भविष्य में इन प्रणालियों के निर्यात की भी संभावनाएं हैं. India को यह महत्वपूर्ण तकनीक मिलना देश के लिए रणनीतिक महत्व भी रखता है. यह स्वदेशीकरण एवं आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देगा. यह समझौता रक्षा क्षेत्र में ‘मेक इन इंडिया’ को गति देता है. इससे निर्यात क्षमता बढ़ेगी.
India उन्नत हेलिकॉप्टर सुरक्षा प्रणालियों को वैश्विक बाजारों में पेश कर सकेगा. इस तकनीक के आने से हेलीकॉप्टर की सुरक्षा और क्षमता में वृद्धि होगी. सेना, वायुसेना, तटरक्षक बल और आपदा राहत एजेंसियों के लिए यह तकनीक अत्यंत उपयोगी है.
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जीसीबी/एमएस