पटना, 10 अगस्त . बिहार के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने कहा कि भारतीय संस्कृति में जो उच्चतम आदर्श है, वह आत्मा का बंधन है, जिसे हम एकात्मता कहते हैं, जिसकी बुनियादी कल्पना यह है कि हम ऐसे मानस का विकास करें, जहां दूसरे की पीड़ा अपनी पीड़ा लगने लगे. इसका कारण यह है कि हम सब आत्मा के बंधन में बंधे हैं.
राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान Sunday को बिहार चैंबर ऑफ कॉमर्स में ‘तृतीय राष्ट्रीय अंगदान दिवस एवं एकादश अंतर्राष्ट्रीय अंगदान दिवस’ के अवसर पर दधीचि देहदान समिति के संकल्प एवं सम्मान समारोह कार्यक्रम में पहुंचे.
उन्होंने कहा कि यह कार्यक्रम पूर्व उप Chief Minister और संस्थान के तत्कालीन मुख्य संरक्षक सुशील कुमार मोदी की स्मृति को समर्पित है. उन्होंने उनकी स्मृति को भी नमन किया. उन्होंने स्वामी विवेकानंद के वचनों की बात करते हुए कहा कि वे बार-बार कहते थे कि जिंदा तो वे हैं, जो दूसरों के लिए जिंदा रहते हैं, बाकी लोग तो मृतप्राय हैं.
उन्होंने कार्यक्रम में मरणोपरांत देहदान करने का संकल्प लिया. उन्होंने कहा, “ऋषियों और मुनियों ने बराबर सवाल किया है और हमारा पूरा दर्शन भी उसके उत्तर से भरा है, वह है, मेरा वास्तविक स्वरूप क्या है? मैं कौन हूं? क्या यह शरीर है? सभी एक ही जवाब देते हैं, जो चीज धीरे-धीरे नष्ट हो रही है, वह केवल माया है. सत्य वह है, जो कभी नष्ट नहीं हो सकता. यह शरीर केवल मेरे वास्तविक स्वरूप का वाहक है, जो मैं हूं.”
उन्होंने कहा कि देहदान एवं अंगदान के विषय को पूरे प्रदेश में अभियान का रूप देना चाहिए.
उन्होंने कार्यक्रम के बाद पत्रकारों से बातचीत में राहुल गांधी के ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर उठाए जा रहे सवालों को लेकर किसी प्रकार की टिप्पणी से इनकार कर दिया.
उन्होंने कहा, “हम आजाद देश में हैं. सभी से अपील करते हैं कि देश की एकता और अखंडता, स्वाभिमान, सुरक्षा, ऐसे विषय हैं, जिन पर कोई विवाद नहीं होना चाहिए और न ही हुआ करता था. हमें अपने आचार पर गौर करना चाहिए.”
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एमएनपी/एबीएम