भोपाल, 21 मई . आतंकवादियों के खिलाफ भारतीय सेना के ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की दुनिया को हकीकत बताने के लिए भारत के सांसदों का प्रतिनिधिमंडल विदेश प्रवास पर जा रहा है. मध्य प्रदेश के कांग्रेस विधायक आरिफ मसूद ने प्रतिनिधिमंडल के प्रमुखों को पत्र लिखकर मध्य प्रदेश के मंत्री विजय शाह द्वारा मुस्लिम सैन्य अधिकारी पर की गई टिप्पणी का जवाब भी साथ में लेकर जाने की हिदायत दी है.
राज्य की राजधानी भोपाल से कांग्रेस विधायक आरिफ मसूद द्वारा सांसदों के प्रतिनिधिमंडल के प्रमुखों को लिखे गए पत्र में कहा गया है कि विदेशी प्रवास के दौरान अंतरराष्ट्रीय मीडिया और समुदाय अगर कर्नल सोफिया कुरैशी पर विवादास्पद टिप्पणी करने वाले विजय शाह पर सवाल पूछता है, तो उसके जवाब का निर्देश केंद्र सरकार से जरूर लेकर जाएं.
सांसदों के प्रतिनिधिमंडल के प्रमुखों को लिखे गए पत्र में आरिफ मसूद ने कहा है कि हाल ही में, मध्य प्रदेश के एक कैबिनेट मंत्री विजय शाह, जो सत्तारूढ़ भाजपा पार्टी से संबंधित हैं, ने कर्नल सोफिया कुरैशी को आतंकवादी की बहन कहकर घृणा से भरा अपमानजनक बयान दिया है. राज्य सरकार ने उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की.
मध्य प्रदेश के जबलपुर स्थित उच्च न्यायालय ने स्वतः संज्ञान में लेकर भारत की संप्रभुता, एकता और अखंडता को खतरे में डालने वाले कृत्यों और विभिन्न समुदायों के बीच घृणा और दुश्मनी को बढ़ावा देने वाले कृत्यों के लिए एफआईआर दर्ज करने का निर्देश जारी करना पड़ा. यहां तक कि सर्वोच्च न्यायालय ने भी उच्च न्यायालय के आदेश को रद्द करने पर सहमति नहीं जताई है, लेकिन फिर भी मध्य प्रदेश की भाजपा सरकार ने मंत्री को हटाने या उन्हें निलंबित करने जैसी कोई कार्रवाई नहीं की है. उक्त मंत्री अभी भी पद पर बने हुए हैं.
कांग्रेस विधायक ने अपने पत्र में आगे लिखा है कि जहाँ एक मंत्री ने एक सैन्य अधिकारी को आतंकवादी की बहन कहा है और राज्य ने कोई कार्रवाई नहीं की है, अंतरराष्ट्रीय समुदाय और मीडिया आपके प्रतिनिधिमंडल से यह सवाल पूछ सकते हैं कि आतंकवाद के खिलाफ भारत की प्रतिबद्धता कितनी विश्वसनीय है, जब वे देश की सत्तारूढ़ पार्टी से संबंधित व्यक्तियों-मंत्रियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं करते हैं ताकि उन्हें (सांसदों) न्याय के कटघरे में ला सके. इसलिए जरूरी है कि ऐसे मुद्दों पर भारत सरकार से उचित निर्देश लें.
उन्होंने आगे लिखा, “मुझे विश्वास है कि इस मुद्दे पर आपकी अभिव्यक्ति भारत की वैश्विक छवि को मजबूत करने और हमारे साझा लोकतांत्रिक मूल्यों को बनाए रखने में सहायक होगी कि हम सभी अलग-अलग जाति, पंथ और संस्कृति के बावजूद भारतीय हैं.”
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एसएनपी/एएस