एंटी कन्वर्जन बिल चुनावी रणनीति का हिस्सा है : अशोक गहलोत

मुंबई, 10 नवंबर . राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने यहां रविवार को पत्रकारों से बातचीत के दौरान विभिन्न मुद्दों पर अपनी बात रखी. उन्होंने महाराष्ट्र में भाजपा के घोषणापत्र में एंटी कन्वर्जन विधेयक को चुनावी रणनीति का हिस्सा बताया.

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अशोक गहलोत ने कहा, “महाराष्ट्र में चुनाव से पहले एंटी कन्वर्जन बिल की बात की जा रही है, और यह मुद्दा जाहिर तौर पर चुनावी रणनीति का हिस्सा लगता है. हम सभी जानते हैं कि चुनाव के समय कुछ मुद्दे उछालने का तरीका बहुत आम होता है, लेकिन इसका असल प्रभाव क्या होगा, यह समय ही बताएगा. जब बिना जनता की राय जाने कुछ बड़े बिल लाए गए, तो उनका परिणाम उल्टा ही निकला. किसानों के आंदोलन को देखिए. वह पूरे देश में फैला था और बहुत ही विवादास्पद साबित हुआ. अगर चुनाव के समय इस तरह के मुद्दे सिर्फ वोटों के लिए उछाले जा रहे हैं, तो जनता का जवाब क्या होगा, यह देखना दिलचस्प होगा.”

उन्होंने आगे कहा, “अगर हम हिंदू-मुस्लिम या किसी अन्य धर्म की बात करें, तो मैं मानता हूं कि इस समय जो भाषा इस्तेमाल की जा रही है, वह देश के लिए सही नहीं है. ऐसी भाषा का इस्तेमाल करना, विशेष रूप से चुनावी माहौल में, देश को तोड़ने के समान है. हमें याद रखना चाहिए कि हमारा संविधान हमें सभी धर्मों और विचारधाराओं का सम्मान करने की अनुमति देता है. अब जो भाषा उपयोग हो रही है, यह लोकतंत्र के लिए खतरनाक हो सकती है, क्योंकि यहां हम सब अलग-अलग धर्मों, जातियों और समुदायों के साथ रहते हैं. इस तरह के बयान केवल देश में असहमति पैदा करेंगे, और इसका जवाब जनता को देना चाहिए.”

इस बीच उन्होंने जातिगत जनगणना को लेकर भी अपनी बात रखी. उन्होंने कहा, “अब जहां तक कांग्रेस का सवाल है, राहुल गांधी ने जाति जनगणना के मुद्दे को उठाया है, और यह सही भी है. इससे समाज की वास्तविक स्थिति का आकलन किया जा सकता है, ताकि हर वर्ग के लिए कुछ ठोस योजनाएं बनाई जा सकें. यह एक गंभीर मुद्दा है, क्योंकि जाति के आधार पर सामाजिक और आर्थिक स्थिति की पहचान करना जरूरी है. इसके जरिए सरकार को यह समझने में मदद मिलेगी कि किसे किस तरह की मदद की जरूरत है. यह मुद्दा सोच-समझकर उठाया गया है, और कांग्रेस इसे चुनावी अभियान का हिस्सा बना रही है, ताकि इस पर काम किया जा सके. अब अमित शाह का जो बयान है कि कांग्रेस जाति जनगणना के जरिए देश को बांटने की कोशिश कर रही है, मुझे लगता है कि वह सिर्फ एक राजनीतिक बयान है.”

एसएचके/एकेजे