‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ लोकतांत्रिक सुधार की दिशा में उठाया गया कदम : अन्नामलाई

बेंगलुरू, 14 मार्च . तमिलनाडु भाजपा प्रमुख और सेवानिवृत्त आईपीएस अधिकारी अन्नामलाई ने कहा कि ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ को लागू करने से क्षेत्रीय दल राष्ट्रीय स्तर पर सोचेंगे और राष्ट्रीय दल क्षेत्रीय हितों पर विचार करेंगे.

जयनगर में जैन विश्वविद्यालय में आयोजित ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ पर एक कार्यक्रम में बोलते हुए उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि एक मजबूत लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए सभी को मतदान में भाग लेना आवश्यक है.

उन्होंने कहा कि ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ एक थोपा हुआ कानून नहीं, बल्कि जनहित में उठाया गया कदम और लोकतांत्रिक सुधार है. उन्होंने कहा कि अगर सब कुछ योजना के अनुसार हुआ तो यह व्यवस्था 2034 तक लागू हो सकती है.

उन्होंने युवाओं को लोकतांत्रिक प्रक्रिया और मतदान में सक्रिय रूप से शामिल होने की आवश्यकता पर जोर दिया और इस बात पर प्रकाश डाला कि भारत ने स्वतंत्रता के बाद से ही लिंग की परवाह किए बिना सभी के लिए समान मतदान के अधिकार के सिद्धांत को बरकरार रखा है.

पहला आम चुनाव 1951-52 में सात चरणों में हुआ था. दूसरा चुनाव 1957 में हुआ और 1952, 1957, 1962 और 1967 में राज्य विधानसभाओं और संसद के चुनाव एक साथ हुए.

हालांकि, 1970 में लोकसभा एक साल पहले ही भंग कर दी गई थी और कम्युनिस्ट पार्टी के नेतृत्व वाली केरल राज्य सरकार को राष्ट्रपति शासन के तहत बर्खास्त कर दिया गया था.

उन्होंने बताया कि यह संवैधानिक सिद्धांतों का उल्लंघन है और आपातकाल के दौरान कई गैर-कांग्रेसी राज्य सरकारों को बर्खास्त कर दिया गया था और राष्ट्रपति शासन लगा द‍िया गया था. उन्होंने कहा कि जनता पार्टी, जो बाद में केंद्र में सत्ता में आई, ने भी इसी तरह का दृष्टिकोण अपनाया.

भारत में 28 राज्यों के साथ, चुनाव अब एक सतत प्रक्रिया बन गए हैं. उन्होंने दावा किया कि 45 दिनों की आदर्श आचार संहिता की अवधि विकास परियोजनाओं में बाधा डालती है और अकेले मतदाता सूची तैयार करने में छह महीने लगते हैं.

उन्होंने कहा कि चुनाव संबंधी प्रक्रियाओं के कारण प्रत्येक राज्य को कम से कम साढ़े सात महीने का समय गंवाना पड़ता है.

शिक्षकों और सीआरपीएफ कर्मियों सहित सरकारी अधिकारी चुनाव ड्यूटी में शामिल होते हैं. ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ प्रणाली एक ही मतदाता सूची का प्रस्ताव करती है, जहां मतदाता एक ही बटन दबाकर सांसदों और विधायकों दोनों के लिए वोट डालते हैं. उन्होंने कहा कि नीति आयोग और विधि आयोग दोनों ही इस विचार का समर्थन करते हैं और संकेत देते हैं कि इसे लागू करने का सही समय आ गया है.

2019 में 16 राजनीतिक दलों ने एक साथ चुनाव के विचार का समर्थन किया था, जबकि सीपीएम समेत केवल तीन दलों ने इसका विरोध किया था. उन्होंने कहा कि ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ पर चर्चा 1932 से चल रही है.

उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि यह प्रणाली मतदाताओं की उदासीनता को रोकने और चुनावों में युवाओं की अधिक भागीदारी को प्रोत्साहित करने में मदद कर सकती है.

इस कार्यक्रम में जयनगर विधायक सी.के. राममूर्ति, एक राष्ट्र, एक चुनाव जागरूकता समिति के राज्य समन्वयक नवीन शिवप्रकाश, पूर्व एमएलसी और राज्य सह-समन्वयक अश्वथनारायण, जैन विश्वविद्यालय के उपाध्यक्ष रवींद्र भंडारी, संयुक्त सचिव संतोष, सेवानिवृत्त आईपीएस अधिकारी भास्कर राव और जैन विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार डॉ. जितेंद्र मिश्रा शामिल हुए.

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