पाकुड़ में पुलिस के खिलाफ फूटा गुस्सा, तीर-धनुष और लाठी-डंडे के साथ सड़क पर उतरे हजारों आदिवासी छात्र

पाकुड़, 27 जुलाई . झारखंड के पाकुड़ जिला मुख्यालय में शनिवार दोपहर हजारों आदिवासी छात्र-छात्राएं लाठी-डंडे, तीर-धनुष के साथ सड़कों पर उतर आए. वे उन पुलिसकर्मियों को गिरफ्तार करने और उन पर कार्रवाई की मांग कर रहे थे, जिन्होंने शुक्रवार की आधी रात केकेएम कॉलेज हॉस्टल में घुसकर छात्रों की पिटाई की थी.

पुलिस की पिटाई से 11 छात्र घायल हुए हैं, जिनका इलाज पाकुड़ सदर हॉस्पिटल में कराया जा रहा है. हॉस्टल में मारपीट के दौरान दो पुलिसकर्मी भी घायल हुए हैं.

प्रदर्शनकारी छात्र-छात्राएं शहर के सिद्धो-कान्हू पार्क के पास इकट्ठा हुए और नारेबाजी करते हुए गांधी चौक पहुंचे. वे पुलिस-प्रशासन और बांग्लादेशी घुसपैठ के खिलाफ नारेबाजी कर रहे थे. उन्होंने ऐलान किया कि अगर पुलिसकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं हुई तो आंदोलन और तेज होगा.

दरअसल, आदिवासी छात्र संघ ने 18 जुलाई को पाकुड़ के महेशपुर थाना क्षेत्र के गायबथान गांव में आदिवासी समुदाय के लोगों पर कथित बांग्लादेशी घुसपैठियों के हमले की घटना के विरोध में शनिवार को आक्रोश रैली निकालने का ऐलान कर रखा था.

छात्र संघ के नेताओं का कहना है कि कुछ पुलिस अफसर रात 10.30 बजे हॉस्टल पहुंचे और छात्रों को हिदायत दी कि किसी हाल में रैली नहीं निकलनी चाहिए. छात्रों ने इसका विरोध किया और उन्हें साफ कह दिया गया कि रैली हर हाल में निकलेगी. इसके बाद रात करीब 12.30 बजे से एक बजे के बीच 100 से भी ज्यादा पुलिसकर्मी जवान लाठी-डंडे लेकर हॉस्टल पहुंचे और सोए छात्रों की जमकर पिटाई की.

दूसरी तरफ एसडीपीओ डीएन आजाद ने बताया कि एक व्यक्ति के अपहरण की सूचना पर पुलिस हॉस्टल गई थी तो छात्र मारपीट पर उतर आए. जवाबी कार्रवाई में पुलिस ने हल्का बल प्रयोग किया. इस मामले में दो अलग-अलग एफआईआर नगर थाने में दर्ज की गई है.

इधर, भारतीय जनता पार्टी ने इस घटना को लेकर हेमंत सोरेन सरकार को निशाने पर लिया है. भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने कहा कि छात्रावास में सो रहे छात्रों के ऊपर हेमंत सोरेन की सरकार ने वर्दीधारियों से बर्बरतापूर्ण हमला कराया है.

उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर घायल छात्रों की तस्वीरें शेयर करते हुए लिखा, ”बांग्लादेशी घुसपैठियों का विरोध, कब से हेमंत सरकार का विरोध करना हो गया, जो पुलिस भेजकर छात्रों को पीटा और प्रताड़ित किया जा रहा है. लोकतंत्र में आवाज उठाना कब से गुनाह हो गया है, जिसकी इतनी बड़ी सजा दी जा रही है? अपने अधिकारों की मांग करना, अपने अधिकारों की रक्षा करना, कब से गैरकानूनी हो गया है, जिसकी सजा कानून के तहत ऐसे दी जा रही है.”

झारखंड के नेता प्रतिपक्ष अमर कुमार बाउरी ने कहा, ”दमनकारी झामुमो-कांग्रेस-राजद सरकार पाकुड़ को जहां बांग्लादेशियों का चारागाह बना रही है, वहीं, मूलवासी-आदिवासी जनमानस के आक्रोश व विरोध को लाठी-डंडे के माध्यम से दबाने का प्रयास कर रही है.” उन्होंने पाकुड़ के डीसी और एसपी से घटना की जांच कराने और पुलिसकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है.

गोड्डा के भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने भी इस घटना को लेकर सोशल मीडिया पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है. उन्होंने लिखा, ”संथाल परगना में आदिवासियों की घटती संख्या व आदिवासी महिलाओं के साथ बांग्लादेशी घुसपैठिया द्वारा शादी करने, प्रत्येक गांव में जमाई टोला बनाने के खिलाफ आज पाकुड जिले में प्रस्तावित आक्रोश रैली के पहले हेमंत सोरेन सरकार का आदिवासी लड़कों पर प्रहार किया गया है.”

एसएनसी/एबीएम