नौसेना में शामिल होगा ‘एंड्रोथ’, आत्मनिर्भरता की दिशा में सशक्त कदम

New Delhi, 5 अक्टूबर . भारतीय नौसेना अपने स्वदेशी निर्माण कार्यक्रम के तहत आईएनएस ‘एंड्रोथ’ को कमीशन करने जा रही है. यह भारतीय नौसेना का दूसरा एंटी-सबमरीन वॉरफेयर शैलो वाटर क्राफ्ट है. इसे Monday को नेवल डॉकयार्ड, विशाखापत्तनम में एक भव्य समारोह में नौसेना में शामिल किया जाएगा. इस अवसर पर पूर्वी नौसेना कमान के कमांडर-इन-चीफ वाइस एडमिरल राजेश पेंढारकर उपस्थित रहेंगे.

आईएनएस एंड्रोथ का कमीशन होना भारतीय नौसेना की युद्धक क्षमता में वृद्धि और स्वदेशीकरण के प्रति उसकी सतत प्रतिबद्धता का प्रतीक है.

हाल के महीनों में नौसेना के बेड़े में कई अत्याधुनिक युद्धपोत शामिल हुए हैं. नौसेना के बेड़े में इस मजबूती से India की समुद्री शक्ति और तकनीकी दक्षता में उल्लेखनीय बढ़ोतरी हुई है.

आईएनएस एंड्रोथ, गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स लिमिटेड, कोलकाता द्वारा निर्मित है. यह India की बढ़ती समुद्री आत्मनिर्भरता का उत्कृष्ट उदाहरण है. इस युद्धपोत में 80 प्रतिशत से अधिक स्वदेशी सामग्री का उपयोग किया गया है, जो ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ के उद्देश्यों के अनुरूप है. यह पोत भारतीय नौसेना की उस सोच को मजबूत करता है, जो स्वदेशी तकनीक, नवाचार और घरेलू उद्योगों के सहयोग से उन्नत सैन्य क्षमताओं के विकास पर केंद्रित है.

रक्षा मंत्रालय के अनुसार, आईएनएस एंद्रोथ के कमीशन से नौसेना की एंटी-सबमरीन वॉरफेयर क्षमताओं में उल्लेखनीय मजबूती आएगी. विशेष रूप से तटीय या उथले जलक्षेत्रों में पनडुब्बी खतरों से निपटने की दिशा में यह पोत काफी महत्वपूर्ण है.

हाल ही में नौसेना में शामिल हुए अर्नाला, निस्तार, उदयगिरी, निलगिरी और अब आईएनएस एंड्रोथ जैसे युद्धपोत भारतीय नौसेना के संतुलित और व्यापक विकास के प्रतीक हैं. ये सभी पोत India की ‘आत्मनिर्भरता’ की भावना को मूर्त रूप देते हैं.

नौसेना के इन जहाजों में डिजाइन, निर्माण और तकनीकी विशेषज्ञता का अधिकांश हिस्सा भारतीय शिपयार्डों और उद्योगों से आता है. आईएनएस एंड्रोथ का कमीशन भारतीय नौसेना के उस विजन को भी साकार करता है, जो India को एक आत्मनिर्भर, सक्षम और आधुनिक समुद्री शक्ति के रूप में स्थापित करने की दिशा में लगातार आगे बढ़ रहा है.

जीसीबी/एसके