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अनंतनाग के वीरों का सैन्य सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया

चंडीगढ़, 15 सितम्बर . अनंतनाग में आतंकवादियों से देश की रक्षा करते हुए सर्वोच्च बलिदान देने वाले सैनिक कर्नल मनप्रीत सिंह और उनके सहयोगी मेजर आशीष धौंचक का पंजाब और हरियाणा में उनके गृहनगरों में शुक्रवार को ‘भारत माता की जय’ और ‘वंदे मातरम’ के नारों के बीच पूरे सैन्य सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया.

पंजाब के मोहाली में कर्नल मनप्रीत सिंह के गांव मुल्लांपुर गरीबदास और हरियाणा के पानीपत में मेजर धौंचक के अंतिम संस्‍कार के दृश्यों ने हर किसी के दिल को छू लिया. हाथ जोड़कर और नम आंखों से कर्नल मनप्रीत सिंह की पत्नी जगमीत कौर ने उन्हें अंतिम विदाई दी.

उनके बेटे कबीर सिंह ने सेना की पोशाक पहनकर अपने पिता को सलाम किया. कर्नल मनप्रीत सिंह को पिता की बटालियन में अधिकारी बनने का दुर्लभ गौरव प्राप्त था. उनके परिवार में मां, पत्नी जगमीत ग्रेवाल, एक बेटी और एक बेटा शामिल हैं, जो मोहाली जिले में न्यू चंडीगढ़ के पास रहते हैं.

उनकी मां मंजीत कौर ने कहा कि जब से उनका बेटा सेना में शामिल हुआ है तब से वह जम्मू-कश्मीर में तैनात सेना के जवानों के कल्याण के बारे में जानने के लिए नियमित रूप से समाचार चैनल देख रही हैं. मेरे मन में हमेशा यह डर रहता था कि मेरे बेटे के साथ कुछ अनहोनी हो जाएगी और ऐसा ही हुआ.

उन्होंने कहा कि मेरा कर्नल शहीद हो गया, मेरे दिल का टुकड़ा शहीद हो गया. मां ने कहा, “मैंने रविवार को दोपहर तीन बजे उससे बात की थी. कभी-कभी हम एक सप्‍ताह तक बात नहीं करते थे. उसका तबादला होने वाला था क्योंकि वह चार साल से कश्मीर में था. जब भी मैं उससे घर आने के लिए कहती थी, तो वह कहता मुझे बहुत काम करना है. मैं सारा काम छोड़कर कैसे आ सकता हूं मां?”

कर्नल मनप्रीत सिंह के पिता लखमीर सिंह का 2014 में निधन हो गया था. वह 12 सिख लाइट इन्फैंट्री में नायक थे. पंजाब के राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित ने कर्नल मनप्रीत सिंह के पार्थिव शरीर पर पुष्पचक्र चढ़ाया और उन्हें श्रद्धांजलि दी.

एक दिन पहले, जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा और चिनार कोर कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल राजीव घई, मुख्य सचिव व डीजीपी और अन्य गणमान्य व्यक्तियों के साथ श्रीनगर में एक समारोह में बहादुरों को श्रद्धांजलि देने के लिए पुष्पांजलि अर्पित की थी.

कर्नल मनप्रीत सिंह के अंतिम संस्कार में शामिल हुए पूर्व सेना प्रमुख जनरल वेद प्रकाश मलिक (सेवानिवृत्त) ने कहा कि यह बहुत दु:खद अवसर था और दोनों अधिकारी उनकी रेजिमेंट से थे. यह रेजिमेंट और सेना के लिए बहुत बड़ी क्षति है. हमें उम्मीद है कि जिन लोगों ने अनंतनाग मुठभेड़ को अंजाम दिया है, उन्हें जल्द ही ढेर कर दिया जाएगा.

मेजर धौंचक के पार्थिव शरीर का उनके पैतृक गांव पानीपत में अंतिम संस्‍कार किया गया. इस दौरान हर आंख नम नजर आई.

23 अक्टूबर 1987 को जन्मे मेजर धौंचक 2013 में सेना में शामिल हुए थे. वह उस समय एमटेक कर रहे थे. उनकी पहली पोस्टिंग जम्मू-कश्मीर के राजौरी में हुई थी. उन्हें 2018 में मेजर के रूप में पदोन्नत किया गया और फिर से जम्मू-कश्मीर में तैनात किया गया.

एफजेड/एकेजे

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