मुंबई, 4 जुलाई . महाराष्ट्र में भाषा विवाद को लेकर सियासी तापमान चढ़ चुका है. प्रदेश के मंत्री नितेश राणे के विवादास्पद बयान ने सामाजिक सौहार्द पर सवाल खड़े कर दिए हैं. इसी बीच शिवसेना (यूबीटी) के प्रवक्ता आनंद दुबे ने इस मुद्दे पर टिप्पणी की. आनंद दुबे ने नितेश राणे के बयान को अविवेकपूर्ण और भड़काऊ बताया.
उन्होंने कहा कि हम किसी भी प्रकार की हिंसा, मारपीट या नफरत की राजनीति का समर्थन नहीं करते है. महाराष्ट्र सभी भारतीयों का है, हिंदी, गुजराती, मारवाड़ी, बंगाली या दक्षिण भारतीय सभी हमारे देशवासी हैं और वर्षों से यहां रहकर रोजगार और संस्कृति का हिस्सा बन चुके हैं.
उन्होंने आगे कहा कि मराठी एक सुंदर भाषा है, देवनागरी लिपि में है और हम चाहते हैं कि महाराष्ट्र में रहने वाला हर व्यक्ति इसे सीखे. शिवसेना मराठी सिखाने को भी तैयार है. लेकिन, इसके नाम पर जबरदस्ती या मारपीट का हम कड़ा विरोध करते हैं. दुबे ने यह भी साफ किया कि हालिया हिंसक घटनाएं व्यक्तिगत विवाद थीं. उनका भाषाई आधार से कोई लेना-देना नहीं था. उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा इस विषय को जानबूझकर भड़का रही है, ताकि चुनाव से पहले माहौल में जहर घोला जा सके.
कांवड़ यात्रा के दौरान डीजे बजाने के सवाल पर शिवसेना (यूबीटी) प्रवक्ता आनंद दुबे ने कहा कि कांवड़ यात्रा भगवान शिव की भक्ति और आस्था का प्रतीक है, जो पवित्रता और नियमों के दायरे में रहकर होती है. लेकिन, सुरक्षा व्यवस्था और शांति बनाए रखना पुलिस की जिम्मेदारी है. जांच के नाम पर भक्तों को डराना या अपमानित करना गलत है. साथ ही यात्रा इस तरह से होनी चाहिए कि आम नागरिकों को, विशेष रूप से अस्पतालों या वृद्धजनों को, असुविधा न हो. धर्म और कर्तव्य को एक-दूसरे के खिलाफ खड़ा नहीं किया जाना चाहिए.
बिहार विधानसभा चुनाव में एआईएमआईएम के महागठबंधन में शामिल होने पर आनंद दुबे ने कहा कि राजनीति में गठबंधन बनना एक सामान्य प्रक्रिया है. एआईएमआईएम की विचारधारा, रणनीति और नीतियां भिन्न हैं और बिहार की राजनीतिक परिस्थिति महाराष्ट्र से पूरी तरह अलग है. उन्होंने स्पष्ट किया कि शिवसेना का रुख केवल महाराष्ट्र के संदर्भ में होता है और बिहार की राजनीति पर सीधा टिप्पणी करना उचित नहीं होगा. हर राज्य की जमीन अलग होती है, उसी के अनुसार राजनीति तय होती है.
बिहार में मतदाता सूची संशोधन को लेकर आनंद दुबे ने कहा कि आज हम उस दौर में हैं, जहां चुनाव आयोग की भूमिका पर भी सवाल उठने लगे हैं. आयोग आज केंद्र सरकार के इशारों पर चलता दिख रहा है. चुनाव आयोग पूरी निष्पक्षता के साथ मतदाता सूची में सुधार करे और भाजपा की चालाकियों को कामयाब न होने दे.
–आईएनएस
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