मजबूत जीडीपी वृद्धि के बीच एफआईआई भारत में अपना निवेश जारी रखेंगे : विश्लेषक

मुंबई, 31 मई . विश्लेषकों ने शनिवार को कहा कि वित्त वर्ष 2025 की चौथी तिमाही में उम्मीद से बेहतर जीडीपी वृद्धि दर 7.4 प्रतिशत रही, जो इस बात का संकेत है कि विकास में तेजी आ रही है. इससे वित्त वर्ष 2026 में कॉर्पोरेट आय में सुधार हो सकता है और विदेशी संस्थागत निवेशक (एफआईआई) भारत में अपना निवेश जारी रख सकते हैं.

भारत में अप्रैल में शुरू हुआ एफआईआई की रणनीति में बदलाव मई में भी जारी रहा. इस साल के पहले तीन महीनों में एफआईआई भारत में लगातार बिकवाली कर रहे थे.

जनवरी में 78,027 करोड़ रुपए के साथ बड़ी बिकवाली शुरू हुई, जब जनवरी के मध्य में डॉलर इंडेक्स 111 पर पहुंच गया. इसके बाद बिकवाली की तीव्रता में कमी आई.

अप्रैल में एफआईआई ने 4,243 करोड़ रुपए की खरीद के साथ खरीदारी का रुख अपनाया.

जियोजित इन्वेस्टमेंट लिमिटेड के मुख्य निवेश रणनीतिकार डॉ. वीके विजय कुमार ने कहा, “एनएसडीएल के आंकड़ों के अनुसार, मई में 30 तारीख तक एफआईआई ने एक्सचेंजों के माध्यम से 18,082 करोड़ रुपए की इक्विटी खरीदी. ग्लोबल मैक्रो जैसे डॉलर में गिरावट, अमेरिका-चीन की सुस्त अर्थव्यवस्था के साथ मजबूत घरेलू मैक्रो जैसे उच्च जीडीपी वृद्धि, घटती मुद्रास्फीति और ब्याज दर, भारत में एफआईआई प्रवाह को बढ़ाने वाले कारक हैं.”

मई के पहले 15 दिनों में एफआईआई ऑटो, कंपोनेंट, टेलीकॉम और फाइनेंशियल सेक्टर में खरीदार रहे हैं.

अलमंड्ज इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज के बिक्री प्रमुख केतन विकम के अनुसार, यूएस बॉन्ड यील्ड में किसी भी तरह की और तेजी से इक्विटी बाजारों में गिरावट का दबाव हो सकता है क्योंकि जोखिम-रहित भावना निवेशकों को अपनी होल्डिंग कम करने के लिए मजबूर कर सकती है.

उन्होंने कहा, “पिछले सप्ताह में सुस्त रुझान के बावजूद एफआईआई ने अब तक भारतीय इक्विटी में तेजी का रुख बनाए रखा है. यह राहत की बात है क्योंकि वैश्विक बाजारों में किसी भी तरह की आशावादिता जून में भी जारी रह सकती है.”

विश्लेषकों का कहना है कि आरबीआई की ब्याज दरों पर ऋण नीति के फैसले पर सबकी निगाहें रहेंगी, क्योंकि नीतिगत दरों में किसी भी तरह की कटौती से मध्यम अवधि में बाजार को अच्छी स्थिति में रखा जा सकेगा.

एसकेटी/एबीएम