इस्लामाबाद, 25 अगस्त . पाकिस्तान ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को आगामी शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) शासनाध्यक्ष परिषद (सीएचजी) की बैठक के लिए इस्लामाबाद आने का निमंत्रण दिया है.
यह बैठक 15 और 16 अक्टूबर को होने वाली है. विश्लेषक इसे एक “राजनीतिक स्टंट नहीं, बल्कि प्रोटोकॉल” के रूप में देख रहे हैं.
विदेश मंत्रालय के सूत्रों ने बताया, “पाकिस्तान ने भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अन्य सदस्य देशों को एससीओ बैठक के लिए इस्लामाबाद आने का निमंत्रण दिया है. मेजबान होने के नाते, यह एक औपचारिक निमंत्रण है और मेजबान देश द्वारा सभी सदस्य देशों को बैठक में भाग लेने के लिए आमंत्रित करने की प्रक्रिया का हिस्सा है.”
प्रधानमंत्री मोदी के निमंत्रण को स्वीकार करने और बैठक के लिए इस्लामाबाद जाने की संभावना नहीं है, क्योंकि दोनों पड़ोसी देशों के बीच संबंध 5 अगस्त, 2019 के बाद से तनावपूर्ण हैं, जब भारत ने जम्मू और कश्मीर राज्य की स्थिति को बदलते हुए अनुच्छेद 370 को हटा दिया था.
उम्मीद है कि प्रधानमंत्री मोदी भारत का प्रतिनिधित्व करने के लिए एक मंत्रिस्तरीय प्रतिनिधिमंडल भेज सकते हैं, क्योंकि एससीओ बैठक में भाग लेने के लिए राष्ट्राध्यक्षों की आवश्यकता नहीं होती है.
अतीत में भी एससीओ सीएचजी बैठकों में भारतीय मंत्रिस्तरीय मंत्रिस्तरीय प्रतिनिधिमंडल गया है और इस बार भी ऐसा ही होने की उम्मीद है.
राजनीतिक विश्लेषक कामरान यूसुफ ने कहा, “पीएम मोदी और सभी अन्य सदस्य देशों को निमंत्रण देना एक अनिवार्य प्रोटोकॉल है, जिसका पालन कोई भी मेजबान देश करता है. पाकिस्तान ने भी यही किया है. मैं इसे राजनीतिक स्टंट के तौर पर नहीं देखता. मुझे पीएम मोदी के इस्लामाबाद आने की उम्मीद नहीं है.”
यूसुफ ने दावा किया, “एक दशक से भारत सरकार की नीति की वजह से पाकिस्तान के साथ संबंध सामान्य नहीं हो पा रहे हैं.”
एससीओ को छोड़कर, दोनों देशों ने किसी भी तरह की बातचीत शुरू करने से परहेज किया है तथा एक-दूसरे के खिलाफ सवाल और चिंताएं जताई हैं.
पिछले वर्ष पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी एससीओ विदेश मंत्रियों की बैठक के लिए भारत आए थे.
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एकेएस/