जम्मू, 14 अप्रैल . जम्मू-कश्मीर के पूर्व डीजीपी एसपी वैद ने ने पीएम मोदी की सुरक्षा को लेकर सोमवार को से खास बातचीत की. इस दौरान उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शुरुआत से ही आतंकियों के निशाने पर रहे हैं. उनके खिलाफ पाकिस्तान में लगातार नफरत पैदा की जाती रही है.
पूर्व डीजीपी एसपी वैद ने से बात करते हुए कहा, “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शुरुआत से ही आतंकियों के निशाने पर रहे हैं. खासकर पाकिस्तान में बैठे आतंकी हमेशा उन्हें बाधा मानते हैं. पाकिस्तान में कट्टरपंथी बनाने के लिए गुजरात दंगों और बाबरी मस्जिद के विध्वंस की तस्वीरें लोगों को दिखाई जाती हैं. इन तस्वीरों का इस्तेमाल प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ नफरत फैलाने के लिए किया जाता है. 2005 में लश्कर का प्लान था और इसी के तहत इशरत जहां को पहले भर्ती किया गया था और बाद में उसे आत्मघाती हमलावर के तौर पर भेजा गया. हालांकि, वह एक मुठभेड़ में मारी गई. इससे बड़ा राजनीतिक विवाद पैदा हो गया. कई लोगों ने आरोप लगाया कि यह एक फर्जी मुठभेड़ थी.”
उन्होंने आगे कहा, “तहव्वुर राणा का भी लश्कर से कनेक्शन था और वह पाकिस्तानी आर्मी भी रहा है. ऐसा पता चलता है कि वह उसके (इशरत) बारे में जानकारी रखता है. हालांकि, अब तहव्वुर राणा से पूछताछ के बाद पता चलेगा कि किसने नरेंद्र मोदी को टारगेट करने के लिए प्लान बनाया था. भारत में लश्कर की कौन-कौन मदद कर रहा था.”
पूर्व डीजीपी एसपी वैद ने कहा, “प्रधानमंत्री मोदी पर गंभीर आरोप लगाए गए थे और मौजूदा गृह मंत्री अमित शाह भी बहुत मुश्किल दौर से गुजरे हैं, उन्हें जेल भी जाना पड़ा था. उस समय भगवा आतंकवाद की थ्योरी गढ़ी गई थी. आज भी प्रधानमंत्री आतंकियों के निशाने पर हैं और इसलिए उनकी सुरक्षा बढ़ाई गई है.”
उन्होंने बांग्लादेश की बात करते हुए कहा, “बांग्लादेश के ढाका में एक रैली में लोगों को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को निशाना बनाने के लिए उकसाया जा रहा था. ट्रंप और इजरायली प्रधानमंत्री के साथ उनकी तस्वीरों का इस्तेमाल भड़काने के लिए किया जा रहा था.”
एसपी वैद ने बंगाल हिंसा पर कहा, “अगर आप अपने लोगों की सुरक्षा नहीं कर सकते तो उन्हें (ममता बनर्जी) मुख्यमंत्री पद पर बैठने का कोई अधिकार नहीं है. उन्हें इस पद से इस्तीफा दे देना चाहिए. जिला प्रशासन कहां था? जब लोगों पर हमला हो रहा था और हिंदुओं को निशाना बनाकर भागने पर मजबूर किया जा रहा था, तब पुलिस अधिकारी कहां थे? जिला प्रशासन कहां था? उन्होंने कार्रवाई क्यों नहीं की? 1990 में कश्मीर में जो हुआ, वही अब बंगाल में हो रहा है. जिला प्रशासन और मुख्यमंत्री को शर्म आनी चाहिए. मुख्यमंत्री को इस्तीफा दे देना चाहिए. मैं राजनीति में नहीं पड़ना चाहता, लेकिन चाहे वह पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती हों या वर्तमान मुख्यमंत्री ममता बनर्जी हों, उन्हें ऐसे मुद्दों पर राजनीति नहीं करनी चाहिए.”
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एफएम/