New Delhi, 20 अगस्त . केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने Wednesday को Lok Sabha में 130वें संविधान संशोधन विधेयक समेत तीन अहम विधेयक पेश किए. विपक्षी दलों के सांसदों ने इन बिलों को लेकर सदन में जमकर हंगामा किया है. हालांकि, तीनों विधेयकों को जेपीसी के लिए भेज दिया गया है.
वहीं, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इन विधेयकों पर विपक्ष के विरोध को लेकर social media के जरिए हमला बोला. उन्होंने social media प्लेटफॉर्म एक्स पर सिलसिलेवार एक के बाद कई पोस्ट किए.
उन्होंने पोस्ट में लिखा, ”देश में Political भ्रष्टाचार के विरुद्ध मोदी Government की प्रतिबद्धता और जनता के आक्रोश को देखकर आज मैंने संसद में Lok Sabha अध्यक्ष की सहमति से संवैधानिक संशोधन बिल पेश किया, जिससे महत्वपूर्ण संवैधानिक पद, जैसे Prime Minister, Chief Minister , केंद्र और राज्य Government के मंत्री जेल में रहते हुए Government न चला पाएं.”
उन्होंने बताया कि इस बिल का उद्देश्य सार्वजनिक जीवन में गिरते जा रहे नैतिकता के स्तर को ऊपर उठाना और राजनीति में शुचिता लाना है. इन तीनों बिल से जो कानून अस्तित्व में आएगा, वह यह है कि कोई भी व्यक्ति गिरफ्तार होकर जेल से Prime Minister, Chief Minister , केंद्र या राज्य Government के मंत्री के रूप में शासन नहीं चला सकता है. संविधान जब बना, तब हमारे संविधान निर्माताओं ने यह कल्पना भी नहीं की थी कि भविष्य में ऐसे Political व्यक्ति भी आएंगे, जो अरेस्ट होने से पहले नैतिक मूल्यों पर इस्तीफा नहीं देंगे. विगत कुछ वर्षों में, देश में ऐसी आश्चर्यजनक स्थिति उत्पन्न हुई कि Chief Minister या मंत्री बिना इस्तीफा दिए जेल से अनैतिक रूप से Government चलाते रहे.
केंद्रीय गृह मंत्री ने लिखा, ”इस बिल में आरोपित राजनेता को गिरफ्तारी के 30 दिन के अंदर अदालत से जमानत लेने का प्रावधान भी दिया गया है. अगर वे 30 दिन में जमानत प्राप्त नहीं कर पाते हैं, तो 31वें दिन या तो केंद्र में Prime Minister और राज्यों में Chief Minister उन्हें पदों से हटाएंगे, अन्यथा वे स्वयं ही कानूनी रूप से कार्य करने के लिए अयोग्य हो जाएंगे. कानूनी प्रक्रिया के बाद ऐसे नेता को यदि जमानत मिलेगी, तब वे अपने पद पर पुनः आसीन हो सकते हैं. अब देश की जनता को यह तय करना पड़ेगा कि क्या जेल में रहकर किसी मंत्री, Chief Minister या Prime Minister द्वारा Government चलाना उचित है?”
दूसरे पोस्ट में अमित शाह ने लिखा, ”एक ओर Prime Minister Narendra Modi ने अपने आप को कानून के दायरे में लाने का संविधान संशोधन पेश किया है और दूसरी ओर कानून के दायरे से बाहर रहने, जेल से Governmentें चलाने और कुर्सी का मोह न छोड़ने के लिए कांग्रेस के नेतृत्व में पूरे विपक्ष ने इसका विरोध किया है. देश को वह समय भी याद है, जब इसी महान सदन में तत्कालीन Prime Minister इंदिरा गांधी ने संविधान संशोधन संख्या-39 से Prime Minister को ऐसा विशेषाधिकार दिया कि Prime Minister के विरुद्ध कोई भी कानूनी कार्यवाही नहीं हो सकती थी. एक तरफ यह कांग्रेस की कार्य संस्कृति और उनकी नीति है कि वे Prime Minister को संविधान संशोधन करके कानून से ऊपर करते हैं. जबकि, दूसरी तरफ भारतीय जनता पार्टी की नीति है कि हम हमारी Government के Prime Minister, मंत्री, मुख्यमंत्रियों को ही कानून के दायरे में ला रहे हैं.”
उन्होंने विपक्ष को निशाने पर लेते हुए लिखा, ”आज सदन में कांग्रेस के एक नेता ने मेरे बारे में व्यक्तिगत टिप्पणी भी की कि जब कांग्रेस ने मुझे पूरी तरह से फर्जी केस में फंसाया और गिरफ्तार कराया, तब मैंने इस्तीफा नहीं दिया. मैं कांग्रेस को याद दिलाना चाहता हूं कि मैंने अरेस्ट होने से पहले ही इस्तीफा दे दिया था और बेल पर बाहर आने के बाद भी, जब तक मैं अदालत से पूरी तरह निर्दोष साबित नहीं हुआ, तब तक मैंने कोई संवैधानिक पद नहीं लिया था. मेरे ऊपर लगाए गए फर्जी केस को अदालत ने यह कहते हुए खारिज किया कि केस Political बदले की भावना से प्रेरित है. भारतीय जनता पार्टी और एनडीए हमेशा नैतिक मूल्यों के पक्षधर रहे हैं.
उन्होंने यह भी लिखा, ”लाल कृष्ण आडवाणी ने भी सिर्फ आरोप लगने पर ही अपने पद से इस्तीफा दे दिया था. दूसरी ओर इंदिरा गांधी जी द्वारा शुरू की गई अनैतिक परंपरा को कांग्रेस पार्टी आज भी आगे बढ़ा रही है. जिस लालू प्रसाद यादव को बचाने के लिए कांग्रेस पार्टी अध्यादेश लाई थी, जिसका राहुल गांधी ने विरोध किया था, आज वही राहुल गांधी Patna के गांधी मैदान में लालू को गले लगा रहे हैं. विपक्ष का यह दोहरा चरित्र जनता भली-भांति समझ चुकी है. पहले से स्पष्ट था कि यह बिल पार्लियामेंट की संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) के समक्ष रखा जाएगा, जहां इस पर गहन चर्चा होगी, फिर भी सभी प्रकार की शर्म और हया छोड़कर, भ्रष्टाचारियों को बचाने के लिए, कांग्रेस के नेतृत्व में पूरा इंडी गठबंधन एकत्रित होकर इसका भद्दे व्यवहार से विरोध कर रहा था. आज विपक्ष जनता के बीच पूरी तरह से एक्सपोज हुआ है.”
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एसके/एबीएम