बढ़ते ट्रेड टैरिफ के बीच भारत के पास हाई-वैल्यू मैन्युफैक्चरिंग और निर्यात में बड़े अवसर: इंडस्ट्री लीडर्स

नई दिल्ली, 23 मार्च . ट्रेड टैरिफ पर चल रही बहस के बीच, इंडस्ट्री लीडर्स ने रविवार को कहा कि भारत के पास हाई-वैल्यू मैन्युफैक्चरिंग में मजबूत बढ़त है और सही नीति के कारण यह स्थिति निर्यात के लिए नए दरवाजे खोलती है.

एक्सपर्ट्स की ओर से कहा गया कि प्रोडक्शन लिंक्ड (पीएलआई) और निर्यात इनिशिएटिव जैसी नीतियों के सपोर्ट के कारण 13 अरब डॉलर की भारतीय टेलीविजन इंडस्ट्री को वैश्विक आपूर्ति अंतराल को भरने में मदद मिल सकती है.

प्रमुख इलेक्ट्रॉनिक्स प्रोडक्टस पर बेसिक कस्टम शुल्क (बीसीडी) में संशोधन से ‘मेक इन इंडिया’ इनिशिएटिव को भी मजबूती मिलेगी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के महत्वाकांक्षी 500 अरब डॉलर के इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग लक्ष्य को पूरा करने में मदद मिलेगी.

इस कदम का उद्देश्य मोबाइल फोन, स्मार्ट एलईडी टीवी और अन्य उपकरणों को अधिक किफायती बनाकर भारत के इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र को मजबूत करना है, साथ ही ग्लोबल सप्लाई चेन में देश की भूमिका को बढ़ाना है.

वीडियोटेक्स के निदेशक अर्जुन बजाज ने कहा, “इस अवसर का अधिकतम लाभ उठाने के लिए हमें इन्फ्रास्ट्रक्चर, स्किल डेवलपमेंट पर दोगुना फोकस करना होगा और भारत को अधिक बिजनेस-फ्रेंडली मैन्युफैक्चरिंग केंद्र बनाना होगा.”

भारत का टीवी मार्केट तेजी से बदल रहा है. जहां बड़ी स्क्रीन, स्मार्ट टेक और प्रीमियम अनुभवों की मांग बढ़ रही है.

हाल ही में वैश्विक रेटिंग एजेंसी फिच ने कहा था कि बाहरी मांग पर कम निर्भरता और घरेलू बाजार का बड़ा आकार भारत को अमेरिकी टैरिफ वृद्धि के प्रभाव से बचाएगा और वित्त वर्ष 26 में अर्थव्यवस्था की विकास दर 6.5 प्रतिशत रह सकती है. वित्त वर्ष 27 में जीडीपी वृद्धि दर 6.3 प्रतिशत रह सकती है.

हाल ही में मॉर्गन स्टेनली की रिपोर्ट में अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप द्वारा टैरिफ की घोषणा के चलते पैदा हुई वैश्विक अस्थिरता के बीच भारत को एशिया में सबसे अच्छी स्थिति वाला देश बाताया था. इसकी वजह देश का गुड्स एक्सपोर्ट टू जीडीपी रेश्यो कम होना और आर्थिक आधार का मजबूत होना था.

एबीएस/