अमेरिका ने 100,000 डॉलर के एच-1बी वीजा शुल्क को स्पष्ट किया, वर्तमान धारकों को दी छूट

वाशिंगटन, 21 अक्टूबर . अमेरिका में एच-1बी वीज़ा धारकों के लिए एक बड़ी राहत की खबर आई है. अमेरिकी गृह सुरक्षा विभाग ने हाल ही में 1 लाख डॉलर (लगभग 83 लाख रुपये) की आवेदन फीस को लेकर नई गाइडलाइन जारी की है. इसमें कई तरह की छूट और अपवाद दिए गए हैं.

नई गाइडलाइन के अनुसार, जो विदेशी कर्मचारी किसी दूसरी वीज़ा श्रेणी जैसे एफ-1 (छात्र वीज़ा) से एच-1बी वीज़ा में बदल रहे हैं, उन्हें यह भारी फीस नहीं देनी होगी. इसी तरह जो लोग पहले से अमेरिका में रह रहे हैं और अपने एच-1बी वीज़ा में कोई संशोधन, स्थिति परिवर्तन या अवधि बढ़ाने के लिए आवेदन कर रहे हैं, उनसे भी यह शुल्क नहीं लिया जाएगा. वर्तमान में जिनके पास मान्य एच-1बी वीज़ा है, उन्हें अमेरिका में आने-जाने में कोई रोक नहीं होगी.

यह घोषणा केवल उन नए वीज़ा आवेदकों पर लागू होती है जो अमेरिका से बाहर हैं और जिनके पास वैध एच-1बी वीज़ा नहीं है. इसमें नए आवेदनों के लिए एक ऑनलाइन भुगतान लिंक भी दिया गया है.

यह स्पष्टीकरण देश के सबसे बड़े व्यावसायिक संगठन, यूएस चैंबर ऑफ कॉमर्स द्वारा ट्रम्प प्रशासन पर नए नियमों को लेकर मुकदमा दायर करने और उन्हें “गैरकानूनी” करार देने के दो दिन बाद आया है. उनका कहना है कि यह नई फीस अमेरिकी कंपनियों को बड़ा नुकसान पहुंचाएगी, क्योंकि इससे उनकी श्रम लागत बढ़ जाएगी या उन्हें कुशल विदेशी कर्मचारियों की भर्ती कम करनी पड़ेगी.

याचिका में यह भी कहा गया है कि ट्रंप का 19 सितंबर का आदेश “कानूनी रूप से गलत” है और इससे अमेरिका के आर्थिक प्रतिद्वंद्वियों को फायदा मिलेगा. इससे पहले 3 अक्टूबर को शिक्षकों, यूनियनों और अन्य संगठनों के समूह ने भी इसी नियम के खिलाफ मुकदमा दायर किया था.

वहीं, ट्रंप ने इस आदेश पर हस्ताक्षर करते समय कहा था कि इसका उद्देश्य “अमेरिकी नागरिकों को नौकरी में प्राथमिकता देना” है. हालांकि इससे भ्रम पैदा हो गया था कि क्या यह नियम पहले से वीज़ा धारकों पर भी लागू होगा, जिन्हें अमेरिका लौटने में दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है.

व्हाइट हाउस ने 20 सितंबर को को एक स्पष्टीकरण जारी करते हुए कहा कि यह एक “एकमुश्त शुल्क” है जो केवल नए वीज़ा पर लागू होता है, न कि नवीनीकरण या मौजूदा वीज़ा धारकों पर.

गौरतलब है कि वर्ष 2024 में कुल स्वीकृत एच-1बी वीज़ाओं में से 70 प्रतिशत से अधिक भारतीय मूल के कर्मचारियों को मिले थे, क्योंकि India से आने वाले कुशल पेशेवरों की संख्या सबसे अधिक है और लंबित आवेदनों की संख्या भी बहुत बड़ी है.

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