दीपावली पर चित्रकूट धाम में अमावस्या मेला होगा भव्य और दिव्य, आकर्षक रोशनी से खिल उठेगा कोना-कोना

लखनऊ, 12 अक्टूबर . उत्तर प्रदेश में आध्यात्मिक पर्यटन को बढ़ाने और तीर्थ क्षेत्रों के विकास के लिए योगी सरकार की ओर से विभिन्न प्रकार के प्रयास किए जा रहे हैं. अयोध्या दीपोत्सव और वाराणसी की देव दीपावली इस बात के उदाहरण है. इसी क्रम में योगी सरकार अब चित्रकूट धाम में भी दीपावली के अवसर पर आयोजित होने वाले अमावस्या मेले को नव्य-दिव्य व भव्य स्वरूप देने का प्रयास कर रही है.

सीएम योगी की मंशा के अनुरूप, चित्रकूट धाम तीर्थ विकास परिषद ने 28 अक्टूबर से 1 नवंबर तक पांच दिवसीय कार्यक्रम के मद्देनजर अपनी तैयारियों को अंतिम रूप देना शुरू कर दिया है. प्रक्रिया के अंतर्गत यहां विभिन्न प्रकार की परियोजनाओं पर कार्य जारी हैं, मगर इन सबके बीच पूरे चित्रकूट धाम को आकर्षक साज-सज्जा से सजाने पर सबसे ज्यादा फोकस किया जा रहा है.

सीएम योगी के विजन अनुसार, दीपावली व अमावस्या मेले के अवसर पर चित्रकूट धाम का कोना-कोना आकर्षक रोशनी व पुष्प सज्जा से खिल उठेगा. यहां इंटेलिजेंट एलईडी लाइटिंग गेट्स की स्थापना होगी और रामायण मेला स्थल, रामघाट, रेलवे स्टेशन समेत तीर्थ क्षेत्र के 13 हॉटस्पॉट एरिया में व्यापक सजावट प्रक्रिया को पूरा किया जाएगा.

चित्रकूट धाम तीर्थ विकास परिषद की कार्ययोजना के अनुसार, दीपावली के अवसर पर आयोजित होने वाले अमावस्या मेले के लिए पूरे तीर्थक्षेत्र की व्यापक साज-सज्जा की जाएगी. चित्रकूट धाम में मेला स्थल समेत 13 हॉटस्पॉट स्थलों पर इंटेलिजेंट एलईडी लाइटिंग गेट्स की स्थापना होगी. गेट 40 फीट ऊंचे और 30 फीट चौड़े होंगे. यह अस्थायी पिक्सल रनिंग एलईडी गेट्स के तौर पर बनाए जाएंगे जिनका निर्माण भक्ति थीम पर आधारित होगा. इसमें प्रभु श्रीराम के जीवन से जुड़ी घटनाओं को शोकेस किया जाएगा.

प्रभु श्री राम को चित्रकूट कितना प्रिय था यह किसी से छिपा नहीं है. वनवास के दौरान प्रभु श्रीराम ने 11 वर्षों की अवधि इसी क्षेत्र में व्यतीत की थी. चित्रकूट के कण-कण में प्रभु श्रीराम का वास है. यही कारण है कि दीपावली के अवसर पर देश-दुनिया से लाखों की तादाद में श्रद्धालु यहां मंदाकिनी नदी स्थित रामघाट समेत विभिन्न घाटों पर दीपदान करने आते हैं.

एक मान्यता यह भी है कि प्रभु श्री राम जब लंका विजय के बाद अपनी राजधानी अयोध्या लौट रहे थे, तब चित्रकूट में थोड़ी देर रुककर उन्होंने यहां ऋषि-मुनियों से मुलाकात की थी और उनकी आज्ञा से मंदाकिनी नदी में दीप दान कर अपनी विजय पर आभार जताया था. तब से यह परंपरा आज भी चली आ रही है और प्रभु श्रीराम को पूजने वाले लाखों श्रद्धालु इस दिन मंदाकिनी नदी में दीपदान करने के साथ कामदगिरि की परिक्रमा करते हैं.

खासतौर पर उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान समेत देश के विभिन्न कोनों से इस अवसर पर श्रद्धालु चित्रकूट धाम आते हैं.

एफजेड/