नई दिल्ली, 23 फरवरी . केंद्र सरकार का आयुष मंत्रालय आयुर्वेद, यूनानी और होम्योपैथी चिकित्सा या कहें तो अल्टरनेटिव मेडिसिन को फिर से जनमानस तक ले जाने का एक माध्यम बन गया है. कोरोना के समय में इन्हीं अल्टरनेटिव मेडिसिन की मांग पूरी दुनिया में थी और तब भारत ने इसके जरिए अपनी धमक पूरे विश्व में कायम की थी. आयुर्वेद सहित होम्योपैथी, सिद्धा, यूनानी, नेचुरोपैथी आदि प्राचीन चिकित्सा पद्धतियों को आगे बढ़ा रहे आयुष मंत्रालय की वजह से यह अब आम जन के जीवन तक पहुंच चुका है.
आज इसको लेकर एक नई बहस शुरू हो गई है. दरअसल सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने पीएम नरेंद्र मोदी को लेकर एक किस्सा साझा करते हुए बताया कि कैसे कोरोना संक्रमण काल के दौरान जब वह कोविड पॉजिटिव हो गए थे तो उनको पीएम मोदी का फोन आया था. उन्होंने आगे कहा कि तब पीएम मोदी ने उनसे कहा था कि एक वैद्य हैं जो आयुष के सचिव भी हैं, वह आपको दवाएं एवं जरूरी चीजें भेज देंगे. उन्होंने बताया कि वह कोविड पॉजिटिव होने के दौरान इन्हीं दवाइयों से स्वस्थ हुए. ऐसे में जब उनको दूसरी और तीसरी बार कोविड हुआ तो उन्होंने यही दवाएं ली. इसके बाद से अल्टरनेटिव मेडिसिन खासकर आयुर्वेद को लेकर देश भर में चर्चा शुरू हो गई है.
पीएम मोदी वैकल्पिक चिकित्सा के इतने बड़े समर्थक रहे हैं कि उन्होंने इसके लिए समर्पित एक अलग आयुष मंत्रालय की स्थापना की. साथ ही योग और आयुर्वेद को वैश्विक स्तर पर भी पहुंचाया. नरेन्द्र मोदी की सरकार ने आयुर्वेद को बढ़ावा देने के लिए गोवा में अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान, गाजियाबाद में राष्ट्रीय यूनानी चिकित्सा संस्थान और दिल्ली में राष्ट्रीय होम्योपैथी संस्थान की स्थापना की.
आज इन प्राचीन चिकित्सा पद्धतियों के द्वारा केवल लोग स्वस्थ नहीं हो रहे हैं बल्कि यह रोजगार पैदा करने और व्यापार का भी बड़ा स्रोत बन गया है. 2025 तक आयुष का बाजार 70 बिलियन डॉलर तक पहुंचने का अनुमान लगाया जा रहा है. आयुष के अंतर्गत आयुर्वेद, योग और नेचुरोपैथी, सिद्ध, यूनानी और होम्योपैथी के साथ लद्दाख की चिकित्सा पद्धति ‘सोवा-रिग्पा’ भी शामिल है.
नरेंद्र मोदी सरकार देशभर में 12 हजार 500 आयुष सेंटर बनाने का लक्ष्य लेकर आगे भी बढ़ रही है. इसके साथ ही केंद्र सरकार द्वारा विदेशी नागरिकों के लिए विशेष आयुष वीजा जारी करना, आयुष उत्कृष्टता केंद्र स्थापित करना, जामनगर में भारत के पारंपरिक चिकित्सा के लिए डब्ल्यूएचओ के वैश्विक केंद्र की स्थापना जैसे कदम उठाए गए हैं.
दरअसल, 2003 में अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में इंडियन मेडिसिन एंड होम्योपैथी विभाग का नाम बदलकर ‘आयुष’ किया गया था. जिसका अर्थ था आयुर्वेद, योगा(नेचुरोपैथी), यूनानी, सिद्ध और होम्योपैथी. पीएम मोदी अटल बिहारी वाजपेयी के इस सपने को नहीं भूले और 9 नवंबर 2014 को उन्होंने आयुष को विभाग से निकालकर सीधा मंत्रालय बना दिया.
मोदी सरकार का यह आयुष मंत्रालय देश के ग्रामीण इलाकों में तभी से सक्रिय था और कोरोना काल के दौरान पर इस मंत्रालय को देश ही नहीं पूरी दुनिया ने जान लिया. इस मंत्रालय पर कोरोना काल में सरकार की तरफ से अहम जिम्मेदारी डाली गई और यह मंत्रालय लोगों को रोग प्रतिरोधक क्षमता को कैसे बढ़ाया जाए इसके बारे में बताने लगा. विदेशी मीडिया में भी भारत के इस मंत्रालय की जमकर चर्चा हुई. ऐसे में योग के साथ विदेशी अब आयुर्वेद को भी अपनाने के लिए आगे आए. यानी एक विभाग से मंत्रालय तक पहुंचाकर प्रधानमंत्री मोदी ने इसके जरिए देश की प्राचीन चिकित्सा विरासत को संभालने का काम किया.
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जीकेटी/