New Delhi, 5 अगस्त . केंद्र सरकार की ओर से एप्रूवड लिस्ट ऑफ मॉडल्स और मैन्युफैक्चरर्स (एएलएमएम) में संशोधनों से घरेलू विंड टारबाइन मैन्युफैक्चरर्स को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है. इसकी वजह नए नियमों में घरेलू सोर्सिंग की हिस्सेदारी को बढ़ाना है. यह जानकारी Tuesday को जारी एक रिपोर्ट में दी गई.
क्रिसिल रेटिंग्स की रिपोर्ट के मुताबिक, नए नियमों के कारण भारतीय और चीनी दोनों ऑरिजनल इक्विपमेंट मैन्युफैक्चरर्स (ओईएम) एक ही लाइन पर प्रतिस्पर्धा कर पाएंगे. मौजूदा समय में बड़ी संख्या में चीनी कंपनियां चीन से कम लागत वाले कलपुर्जे आयात करती हैं, जिससे कारण भारतीय कंपनियों के मुकाबले उनकी लागत कम आती है.
हालांकि, इस संशोधन के बाद चीनी कंपनियां भारतीय निर्माताओं से कलपुर्जे खरीदने के लिए बाध्य होंगी, बशर्ते कि भारतीय विंड ओईएम को केवल एएलएमएम सूची में जोड़ा जाए. इससे चीनी कंपनियों की तुलना में भारतीय विंड एनर्जी ओईएम के लिए मैन्युफैक्चरिंग लागत में अंतर दूर होगा और स्थानीय आपूर्ति श्रृंखला मजबूत होगी.
यह कदम घरेलू पवन ऊर्जा ओईएम के क्रेडिट प्रोफाइल को भी बेहतर बनाएगा. नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (एमएनआरई) ने 31 जुलाई को विंड एनर्जी ओईएम को एएलएमएम सूची में शामिल करने की प्रक्रिया में संशोधन किया था. यह सूची देश में स्थापना के लिए योग्य विंड एनर्जी टरबाइन मॉडलों को प्रमाणित करती है.
नए संशोधन के तहत विंड एनर्जी ओईएम को प्रमुख घटक जैसे ब्लेड, टावर, गियरबॉक्स, जनरेटर और विशेष बियरिंग केवल एएलएमएम सूचीबद्ध आपूर्तिकर्ताओं से ही प्राप्त करने का आदेश दिया गया है.
यह सभी कलपुर्जी विंड एनर्जी टरबाइन की कुल लागत का 65-70 प्रतिशत हिस्सा होते हैं.
इसमें विंड एनर्जी टरबाइन डेटा और नियंत्रण प्रणालियों को भारत में ही रहने, स्थानीय डेटा केंद्रों, सर्वरों और अनुसंधान एवं विकास सुविधाओं का उपयोग करने का भी आदेश दिया गया है, जिससे डेटा सुरक्षा में सुधार होगा और देश के साइबर सिक्योरिटी इकोसिस्टम को बढ़ावा मिलेगा.
वर्तमान संशोधन विंड एनर्जी ओईएम को ‘मेक इन इंडिया’ के लिए प्रोत्साहित करेंगे. भारतीय विंड एनर्जी ओईएम की बाजार हिस्सेदारी लगभग 40-45 प्रतिशत है और वे अधिकांश अनिवार्य कलपुर्जों को घरेलू स्तर पर ही खरीदते हैं. इसके विपरीत, भारत में कार्यरत चीनी विंड एनर्जी ओईएम चीन से कम लागत वाले पुर्जों का बड़ा हिस्सा आयात करते हैं.
क्रिसिल रेटिंग्स के निदेशक अंकित हखू ने कहा, “चीनी कंपनियों ने कम लागत वाले आयातित पुर्जों का लाभ उठाते हुए, वित्त वर्ष 2019 में अपनी बाजार हिस्सेदारी केवल 10 प्रतिशत से बढ़ाकर वित्त वर्ष 2025 में लगभग 45 प्रतिशत कर ली है. यह मानते हुए कि अधिकांश भारतीय विंड एनर्जी ओईएम एएलएमएम में शामिल हो जाएंगे. इसके बाद, चीनी विंड एनर्जी ओईएम को स्थानीय स्तर पर ही उपकरण खरीदने होंगे.”
इससे उन भारतीय निर्माताओं को लाभ हो सकता है जिनकी वर्तमान में इन पुर्जों के लिए मैन्युफैक्चरिंग क्षमता का कम उपयोग हो रहा है.
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एबीएस/