भारत को मातृभूमि मानने वाले सभी लोग ‘हिंदू’, संघ में मुस्लिम, ईसाई सबका स्वागत : मोहन भागवत

Bengaluru, 9 नवंबर . राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत ने Sunday को कहा कि संघ में सभी का स्वागत है. जो लोग इस भूमि को अपनी मातृभूमि मानते हैं, वे संघ में शामिल हो सकते हैं.

आरएसएस प्रमुख ने संघ के आउटरीज कार्यक्रम के बारे में बोलते हुए कहा, “किसी भी ब्राह्मण, शैव, मुसलमान या ईसाई को संघ से बाहर नहीं रखा गया है. केवल हिंदुओं को ही अनुमति है, और हिंदू से हमारा तात्पर्य उन सभी से है जो इस भूमि को अपनी मातृभूमि मानते हैं. विभिन्न संप्रदायों के लोग संघ में आ सकते हैं; बस अपनी अलग पहचान को अलग रखें.”

उन्होंने यह टिप्पणी इस सवाल का जवाब देते हुए की कि क्या मुसलमानों को संघ में अनुमति है और संगठन अल्पसंख्यकों में विश्वास कैसे पैदा करना चाहता है. उन्होंने कहा, “आपकी विशिष्टता का स्वागत है. लेकिन जब आप शाखा में आते हैं, तो आप India माता के पुत्र, इस हिंदू समाज के सदस्य के रूप में आते हैं.”

भागवत ने बताया, “मुस्लिम और ईसाई भी हिंदू समाज की विभिन्न जातियों के लोगों की तरह शाखा में आते हैं. हम न तो उनकी गिनती करते हैं और न ही उनकी पृष्ठभूमि के बारे में पूछते हैं. हम सभी India माता के पुत्र हैं. संघ सभी को इसी नजर से देखता है.”

उन्होंने कहा, “पहले, चर्च जैसे कुछ समुदायों और समूहों को अलग या अछूता रखा जाता था. अब हमें उनसे संपर्क करने के लिए विशेष प्रयास करने होंगे – यही हमारे आउटरीच कार्यक्रम का उद्देश्य है. लेकिन आउटरीच का मतलब यह नहीं है कि हम उन पर कुछ थोपेंगे या कुछ करेंगे.”

उन्होंने विस्तार से बताया, “संघ कहता है कि हम किसी के लिए भी कुछ भी करेंगे. प्रत्येक व्यक्ति को अपना कर्तव्य निभाना होगा और अपनी प्रगति स्वयं करनी होगी. हम लोगों को ऐसा करने के लिए सक्षम और तैयार करते हैं. भगवान भी उनकी मदद करते हैं जो अपनी मदद खुद करते हैं. इसलिए संघ से किसी चीज की उम्मीद न करें. लेकिन अगर आप दूसरों से कोई अपेक्षा किए बिना संघ में आते हैं, तो आप अपने लक्ष्य हासिल कर सकते हैं. यही हम सिखाते हैं. तो हां, यह एक आउटरीच अभियान है. साथ ही अगर दूसरे लोग नेक काम कर रहे हैं, तो हम उनका समर्थन करेंगे.”

यह पूछे जाने पर कि क्या संघ मुसलमानों के लिए स्कूल खोलेगा, भागवत ने कहा, “हम किसी खास समुदाय या जाति के लिए स्कूल नहीं खोलते. संघ केवल अपने मूल कार्य, मानव निर्माण, पर ध्यान केंद्रित करता है. हमारे स्वयंसेवक अलग, स्वायत्त संगठन चलाते हैं. हम उनसे उम्मीद करते हैं कि वे आत्मनिर्भर बनें ताकि उन्हें बाहरी मदद की जरूरत न पड़े. मुस्लिम इलाकों में विद्या भारती द्वारा संचालित शिशु मंदिर भी हैं.”

भागवत ने कहा, “आउटरीच अभियान विशुद्ध रूप से आने और योगदान देने की अपील है. संघ लोगों से India माता के चरणों में अपने प्रयास समर्पित करने का आग्रह करता है. संघ कुछ नहीं देता, वह सब कुछ मांगता है.”

जेनरेशन जेड, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और आधुनिक आकर्षणों पर एक अन्य प्रश्न का उत्तर देते हुए, भागवत ने कहा, “संघ में, एक बुनियादी सच्चाई को छोड़कर, कोई भी बदलाव स्वीकार्य है – कि हिंदुस्तान एक हिंदू राष्ट्र है. यह कभी नहीं बदलेगा. बाकी सब कुछ विकसित हो सकता है. प्रस्तावों पर चर्चा होती है, और जब आम सहमति बन जाती है, तो बदलाव मिनटों में लागू कर दिया जाता है. तब तक, चर्चाए जारी रहती हैं. यह हमारी प्रक्रिया है, और इसके माध्यम से हमने कई बदलाव किए हैं.”

उन्होंने आगे कहा, “संघ में सभी प्रकार के लोग आ सकते हैं, ट्रांसजेंडर भी; अगर वे शाखा में आते हैं, कार्यक्रमों में भाग लेते हैं और हिंदू राष्ट्र की अवधारणा का सम्मान करते हैं, तो उनका स्वागत है. कोई रोक नहीं है.”

युवा पीढ़ी को जोड़ने के बारे में, भागवत ने कहा, “अगर जेनरेशन जेड social media पर सक्रिय है, तो हमें वहां जाना चाहिए और उनसे जुड़ना चाहिए. डॉ. हेडगेवार के दिनों में, दो पीढ़ियां थीं- एक जो उनके साथ थीं और दूसरी जो उन्होंने नामांकित की थीं. अगर हम जेन जी तक पहुंचना चाहते हैं, तो हमें वहां जाना होगा जहां वे हैं. अगर वे किसी चीज से जुड़े हैं, तो हमें भी उसे समझना चाहिए. पीढ़ीगत बदलाव की चिंता न करें. हमारी कार्यप्रणाली और कार्यक्रम बहुत अनुकूलनीय हैं. हम समय के साथ विकसित होते रहेंगे.”

एससीएच/एएस