सभी नागरिकों को समान अधिकार प्राप्त हो : संजय उपाध्याय

Mumbai , 6 अगस्त . भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के विधायक संजय उपाध्याय ने Wednesday को से बातचीत करते हुए कबूतर को दाना डालने पर प्रतिबंध लगाने समेत कई विषयों पर बात की.

संजय उपाध्याय ने समाचार एजेंसी से बातचीत में कहा कि हमारे सनातन धर्म में हर भगवान को किसी पक्षी या जानवर से जोड़ा गया है. यह मूल रूप से उनकी सवारी माना जाता है. ऐसी स्थिति में मुझे नहीं लगता है कि किसी विशेष पक्षी या जानवर पर सवाल उठाना सही है. हमारा सनातन विचार प्रकृति से जुड़ा है. हम एक-दूसरे के पूरक हैं. हमें उनसे कोई खतरा नहीं है. अगर कबूतर से किसी भी प्रकार का खतरा है, तो उसे लेकर हमारे बीच में वैज्ञानिक चर्चा होनी चाहिए. बिना किसी वजह से कबूतर पर गुस्सा निकालना किसी भी स्थिति में स्वीकार्य नहीं है.

उन्होंने उत्तराखंड के उत्तरकाशी में बादल फटने की घटना को पीड़ादायी बताया. उन्होंने कहा कि इस घटना को शब्दों में व्यक्त नहीं किया जा सकता है. जिन लोगों ने इस प्राकृतिक विपदा की चपेट में आकर अपनी जान गंवाई है, उनके प्रति मैं अपनी तरफ से संवेदना प्रकट करता हूं.

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इस त्रासदी के संबंध में जानकारी ली है और एनडीआरएफ की ओर से भी रेस्क्यू ऑपरेशन जारी है. लेकिन, इस बात को खारिज नहीं किया जा सकता है कि जब कभी भी हम प्रकृति के साथ खिलवाड़ करते हैं, तो उसके रौद्र रूप का हमें सामना करना पड़ता है.

उन्होंने ‘समान नागरिक संहिता’ (यूसीसी) को लेकर भी अपनी बात रखी और बल दिया कि भाजपा अपनी स्थापना के समय से ही ‘समान नागरिक संहिता’ के पक्ष में रही है. ऐसी स्थिति में अगर गुजरात इस संबंध में अपनी प्रक्रियाओं को शुरू करने जा रहा है, तो हम इसका खुले दिल से स्वागत करेंगे.

उन्होंने मांग की कि पूरे देश में यूसीसी लागू हो, ताकि सभी नागरिकों को समान अधिकार प्राप्त हों. किसी के साथ किसी भी आधार पर भेदभाव नहीं हो. इसके अलावा, तुष्टिकरण की राजनीति भी नहीं हो. अगर कहीं भी तुष्टिकरण की राजनीति होगी, तो हम उसे किसी भी कीमत पर स्वीकार नहीं करेंगे. धर्म के आधार पर किसी भी नागरिक के साथ भेदभाव नहीं होना चाहिए.

उन्होंने कांग्रेस नेता राहुल गांधी को लेकर दावा किया कि अभी तक उन्हें कोई समझ नहीं पाया है. यहां तक कि उनकी खुद की पार्टी कांग्रेस भी उन्हें समझ नहीं पाई है और देश भी अभी तक नहीं समझ पाया है. मेरे ख्याल से न्यायपालिका ने तो उनकी मानसिक स्थिति का सही विश्लेषण किया है. ऐसी स्थिति में कोर्ट ने उनके संबंध में जो भी टिप्पणी की है, वो बिल्कुल उपयुक्त है.

एसएचके/एबीएम