New Delhi, 21 जुलाई . हर साल 22 जुलाई की तारीख Maharashtra की राजनीति में एक खास अहमियत रखती है. यह महज एक नेता का जन्मदिन नहीं, बल्कि उस Political धारा का प्रतीक है, जिसने दशकों तक सत्ता के गलियारों में प्रभावी मौजूदगी दर्ज कराई है. यह दिन उस शख्सियत की याद दिलाता है, जिसने अपनी दूरदृष्टि से सत्ता के समीकरणों को कई बार पलट कर रख दिया. Political सफर की शुरुआत भले ही किसी आंदोलन से हुई हो, लेकिन आज वह नाम सत्ता के शिखर पर मजबूती से खड़ा है.
प्रशासन में पारदर्शिता, योजनाओं की समयबद्धता और जवाबदेही का जो मानक इस नेता ने गढ़ा, उसने उसे केवल मंत्रालयों का प्रमुख नहीं, बल्कि फैसलों का निर्णायक बना दिया. बदलते Political परिदृश्य में जब लोग दोराहे पर खड़े थे, तब इस नेता ने साहसिक फैसले लेकर यह साबित कर दिया कि नेतृत्व केवल विरासत से नहीं, बल्कि निर्णायक सोच और जनभावनाओं की समझ से उभरता है.
22 जुलाई, 1959 को अहमदनगर के देओली प्रवरा गांव में जन्मे अजित पवार छठी बार Maharashtra के उपChief Minister के रूप में कार्यरत हैं. लेकिन, ये छह बार की उपChief Minister की कुर्सी केवल सत्ता की कहानी नहीं कहती, ये उस Political दूरदर्शिता, जमीनी जुड़ाव और व्यावहारिक नेतृत्व की गवाही देती है, जिसे अजित दादा ने वर्षों में गढ़ा है.
शुरुआत सहकारी संस्थाओं से करने वाले अजित पवार का करियर 1991 में उस मोड़ पर आया, जब उन्होंने विधान परिषद सदस्य के रूप में राज्य की राजनीति में औपचारिक प्रवेश किया. इसके बाद उन्होंने लगातार विधानसभा चुनाव जीते, Governmentों का हिस्सा बने और लगभग हर महत्वपूर्ण मंत्रालय संभाला, जल संसाधन से लेकर वित्त और शहरी विकास से लेकर कृषि. उनके Political जीवन की सबसे खास बात यह रही है कि वे हमेशा प्रशासन की गति बढ़ाने, फैसलों में स्पष्टता और सिस्टम को जवाबदेह बनाने के पक्षधर रहे हैं.
अजित पवार के जन्मदिन पर जब समर्थक उन्हें बधाई देते हैं, तो वे उस नेता को सलाम कर रहे होते हैं, जो सुबह 6 बजे से काम पर लग जाता है और देर रात तक आम जनता की समस्याओं को सुनता है. उनकी ‘जनता संवाद’ की पहल एक प्रतीक है कि वे आज भी भीड़ से घिरे नेता नहीं, बल्कि आम आदमी के मुद्दों से जुड़े जनप्रतिनिधि हैं.
अजित पवार की Political यात्रा केवल उनकी नीतियों या प्रशासनिक शैली तक सीमित नहीं रही. 2 जुलाई 2023 को जो हुआ, उसने न केवल Maharashtra की सियासत को झकझोर दिया, बल्कि यह स्पष्ट कर दिया कि ‘दादा’ अब सिर्फ शरद पवार के भतीजे नहीं, बल्कि खुद की Political धुरी हैं. जब उन्होंने चाचा और एनसीपी के संस्थापक शरद पवार से अलग होकर भाजपा-शिवसेना (शिंदे गुट) Government के साथ हाथ मिलाया, तो एक नए अजित पवार का उदय हुआ. एक ऐसा नेता, जो अब अपनी Political सोच के दम पर फैसले लेता है और उसके लिए चाहे उन्हें कितनी भी आलोचना झेलनी पड़े, वे पीछे नहीं हटते.
यह कदम उनके समर्थकों के लिए साहसिक था, जबकि विरोधियों के लिए धोखा. लेकिन, राजनीति में फैसला वही मायने रखता है, जो सत्ता की दिशा तय करता है और अजित पवार ने यह बखूबी कर दिखाया. दिसंबर 2024 में देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्व में जब नई Government बनी तो अजित पवार छठी बार डिप्टी सीएम की कुर्सी पर पहुंचे. यह किसी संयोग का परिणाम नहीं, बल्कि सत्ता के भीतर शक्ति संतुलन का ऐसा व्यावहारिक उदाहरण है, जिसकी मिसालें दुर्लभ हैं.
आज जब Maharashtra कई सामाजिक-आर्थिक बदलावों के दौर से गुजर रहा है, तो अजित पवार जैसे नेता की जरूरत और भी बढ़ जाती है, जो व्यवस्था में रहते हुए आम जनता से जुड़ना जानता है. ‘दादा’ के नाम से लोकप्रिय इस नेता का जन्मदिन वास्तव में Maharashtra के Political भविष्य की दिशा तय करने वाले क्षणों में से एक है, क्योंकि अजित पवार न केवल सत्ता का हिस्सा हैं, बल्कि सत्ता की दिशा भी तय कर रहे हैं.
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पीएसके/एबीएम