‘एम्स’ राजकुमारी अमृत कौर की देन, जहां बचाई जाती है लाखों जिंदगियां

New Delhi, 1 अक्टूबर . Prime Minister Narendra Modi के नेतृत्व में केंद्र Government देशवासियों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं प्रदान करने के लिए अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) का लगातार विस्तार कर रही है. जहां 2014 तक देश में केवल 7 एम्स थे, वहीं अब इनकी संख्या बढ़कर 23 से अधिक हो गई है. मेडिकल कॉलेजों की संख्या भी 387 से बढ़कर 780 तक पहुंच चुकी है, और एमबीबीएस की सीटें अब 1,18,000 से ज्यादा हैं. दिल्ली एम्स, जहां देशभर के लाखों मरीजों की जिंदगियां हर साल इलाज के जरिए बचाई जाती हैं, इसकी नींव स्वतंत्र India की पहली स्वास्थ्य मंत्री राजकुमारी अमृत कौर ने रखी थी.

राजकुमारी अमृत कौर के कार्यकाल में स्वास्थ्य क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव आए, जिसकी बदौलत आज देशभर में एम्स का जाल बिछाया जा रहा है और लोगों को विश्वस्तरीय चिकित्सा सुविधाएं मिल रही हैं.

2 अक्टूबर को राजकुमारी अमृत कौर की पुण्यतिथि के अवसर पर, आइए उनके जीवन और योगदान को और करीब से जानें.

राजकुमारी अमृत कौर India की एक प्रख्यात गांधीवादी, स्वतंत्रता सेनानी और सामाजिक कार्यकर्ता थीं. वे उन महिलाओं में से एक थीं जिन्होंने पुरुषों के कंधे से कंधा मिलाकर India की आजादी के लिए आंदोलन में अपना सबकुछ झोंक दिया.

स्वतंत्र India की पहली स्वास्थ्य मंत्री के रूप में उन्होंने न केवल स्वास्थ्य सेवाओं को नई दिशा दी, बल्कि अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स ) जैसी विश्वस्तरीय संस्था की नींव रखी.

राजकुमारी अमृत कौर का जन्म 2 फरवरी 1889 को Lucknow, उत्तर प्रदेश में हुआ था. उनकी प्रारंभिक शिक्षा ब्रिटेन के शेरबोर्न स्कूल में हुई, और उच्च शिक्षा ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय से संपन्न हुई. उन्होंने 16 वर्षों तक गांधीजी के सचिव के रूप में कार्य किया. गांधीजी के नेतृत्व में दांडी मार्च और India छोड़ो आंदोलन के दौरान वह जेल भी गईं.

1927 में उन्होंने अखिल भारतीय महिला सम्मेलन की स्थापना की. 1930 में वह इसकी सचिव और 1933 में अध्यक्ष बनीं. उन्होंने ऑल इंडिया वूमेंस मेंस एजुकेशन फंड एसोसिएशन की अध्यक्ष के रूप में भी कार्य किया और New Delhi के लेडी इरविन कॉलेज की कार्यकारी समिति की सदस्य रहीं.

उन्होंने सबके लिए मताधिकार की पुरजोर वकालत की और भारतीय मताधिकार तथा संवैधानिक सुधारों के लिए गठित लोथियन समिति और ब्रिटिश संसद की संवैधानिक सुधारों के लिए बनी संयुक्त चयन समिति के समक्ष अपना पक्ष रखा. स्वतंत्रता के बाद वह पंडित नेहरू के मंत्रिमंडल में स्वास्थ्य मंत्री बनीं. वह संविधान सभा की सदस्य भी रहीं.

राजकुमारी अमृत कौर के जीवन में यूं तो कई उपलब्धियां हैं, लेकिन एम्स की स्थापना उनके जीवन की सबसे बड़ी उपलब्धियों के तौर पर याद की जाती है.

उन्होंने पर्दा प्रथा, बाल विवाह और देवदासी प्रथा के खिलाफ अभियान चलाया. टीबी उन्मूलन कार्यक्रम, राष्ट्रीय मातृ एवं शिशु कल्याण बोर्ड की स्थापना और रेड क्रॉस सोसाइटी में सुधार उनके नाम हैं.

2 अक्टूबर 1964 को उनका निधन हो गया. अपनी दूरदृष्टि और संकल्प के कारण उन्होंने विभिन्न क्षेत्रों में मजबूत बुनियाद रखी, जिन पर स्वतंत्र India के सपनों को पंख लगे.

राजकुमारी अमृत कौर ने अपना जीवन देश के नाम समर्पित कर दिया. दिल्ली एम्स में उनके नाम से ओपीडी है, और यहां इलाज के लिए आने वाले लोग उनके योगदान की सराहना करते हैं. लोगों का मानना है कि स्वास्थ्य के क्षेत्र में एम्स ऐसी क्रांति है, जिसने लोगों को सिर्फ बेहतर चिकित्सा ही उपलब्ध नहीं कराई, बल्कि जीवन जीने का नजरिया भी बदला.

डीकेएम/जीकेटी