चेन्नई, 2 नवंबर . तमिलनाडु में विपक्षी अन्नाद्रमुक ने 6 नवंबर को अपने जिला सचिवों की बैठक आयोजित की है, जिसकी अध्यक्षता पार्टी के महासचिव और पूर्व मुख्यमंत्री एडप्पादी के. पलानीस्वामी करेंगे जो अपने समर्थकों के बीच ‘ईपीएस’ के नाम से भी लोकप्रिय हैं.
बैठक चेन्नई स्थित पार्टी मुख्यालय में होगी. पार्टी के शीर्ष नेताओं के अनुसार, बैठक में आगामी 2026 विधानसभा चुनाव के मद्देनजर जिला इकाइयों की तैयारियों की समीक्षा की जाएगी.
तमिलनाडु में 2011 से 2021 तक एक दशक लंबे शासन के बाद अन्नाद्रमुक को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा.
पूर्व मुख्यमंत्री जयललिता का 5 दिसंबर 2016 को निधन पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं के लिए एक धक्का जैसा था.
इन कठिनाइयों के बावजूद पार्टी के अंदरूनी सूत्र इस बात पर जोर देते हैं कि अन्नाद्रमुक का मतदाता काफी हद तक बरकरार है.
पार्टी ने प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र का गहन विश्लेषण किया है तथा तमिलनाडु की विविध आबादी की विशिष्ट आवश्यकताओं के अनुसार अपनी रणनीति तैयार करने की योजना बना रही है.
साल 2021 के राज्य चुनावों में जयललिता जैसे करिश्माई नेता की अनुपस्थिति में भी अन्नाद्रमुक 66 सीटें हासिल करने में सफल रही और उसे 33.29 प्रतिशत वोट मिले, जबकि द्रमुक को 37.70 प्रतिशत वोट मिले.
सूत्रों ने बताया कि अन्नाद्रमुक 2026 के चुनावों से पहले नए राजनीतिक साझेदारों के साथ गठबंधन की संभावना तलाश रही है.
वर्तमान में एनडीए घटक पट्टाली मक्कल काची (पीएमके) और नाम तमिलर काची (एनटीके) के साथ संभावित सहयोग पर कथित तौर पर विचार किया जा रहा है.
इसके अलावा पार्टी तमिल सुपरस्टार विजय पर अपने रुख पर चर्चा कर सकती है, जिन्होंने हाल ही में एक नई राजनीतिक पार्टी टीवीके का गठन किया है.
6 नवंबर की बैठक के दौरान अन्नाद्रमुक प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र के प्रभारी नेताओं की नियुक्ति भी करेगी और ये प्रभारी संबंधित जिला सचिवों को रिपोर्ट करेंगे.
पार्टी ने स्थानीय चुनौतियों की पहचान करने और उनका समाधान करने के उद्देश्य से प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र में विस्तृत सर्वेक्षण करने के लिए एक पेशेवर एजेंसी को नियुक्त किया है.
पूर्णकालिक निर्वाचन क्षेत्र प्रभारी इन मुद्दों को सुलझाने पर काम करेंगे. अन्नाद्रमुक तटीय जिलों में एक अभियान भी चलाएगी, जिसमें श्रीलंकाई नौसेना द्वारा तमिलनाडु के मछुआरों को नियमित रूप से हिरासत में लिए जाने के मुद्दे को उजागर किया जाएगा.
अभियान में इस मामले में केंद्र और राज्य सरकारों की कथित निष्क्रियता की आलोचना की जाएगी.
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एकेएस/एकेजे