![]()
New Delhi, 25 अक्टूबर . Union Minister डॉ. जितेंद्र सिंह ने Saturday को दिल्ली विश्वविद्यालय के यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ मेडिकल साइंसेज (यूसीएमएस) के 54वें स्थापना दिवस और कॉलेज दीक्षांत समारोह को संबोधित किया.
इस दौरान उन्होंने कहा कि चिकित्सा में कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) का एकीकरण India में निदान और रोगी देखभाल को नए सिरे से परिभाषित कर रहा है. उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि India में चिकित्सा, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं में बीते दशक में उल्लेखनीय परिवर्तन हुए हैं और यह परिवर्तन अब एआई-आधारित नवाचारों के साथ नई दिशा में आगे बढ़ रहा है.
मंत्री ने बताया कि उन्होंने स्वयं टेली-मोबाइल क्लीनिकों के माध्यम से एआई तकनीक का उपयोग किया है, जिसने ग्रामीण और दूरदराज क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच बढ़ाने में अहम भूमिका निभाई.
उन्होंने कहा कि एआई मरीज की भाषा में संवाद कर सकता है और यहां तक कि मानवीय जैसी बातचीत के माध्यम से उन्हें मानसिक सुकून भी प्रदान कर सकता है. यह एक हाइब्रिड मॉडल है जो सहानुभूति और नवाचार दोनों को साथ लेकर चलता है. डॉ. सिंह ने कहा कि India आज वैश्विक स्वास्थ्य सेवाओं में अग्रणी बनकर उभरा है. India ने कोविड-19 के दौरान स्वदेशी डीएनए वैक्सीन और जीन थेरेपी विकसित कर दुनिया के सामने अपनी वैज्ञानिक क्षमता का परिचय दिया है.
उन्होंने India के जीवन विज्ञान क्षेत्र की बढ़ती वैश्विक विश्वसनीयता और ‘मेक इन इंडिया’ पहल के तहत चिकित्सा अनुसंधान में हो रही प्रगति को भी रेखांकित किया.
डॉ. सिंह ने बताया कि बीते दस वर्षों में India में चिकित्सा शिक्षा के क्षेत्र में क्रांतिकारी विस्तार हुआ है. दस साल पहले देश में एमबीबीएस की लगभग 45,000 सीटें थीं, आज यह संख्या बढ़कर 1.5 लाख के करीब पहुंच गई है. उन्होंने आयुष्मान भारत, जन औषधि केंद्रों और डिजिटल हेल्थ मिशन जैसी पहलों को स्वास्थ्य सेवा को ‘सुलभ, किफायती और सर्वसमावेशी बनाने की दिशा में ऐतिहासिक कदम बताया.
डॉ. सिंह ने कहा कि अलग-अलग काम करने का युग अब समाप्त हो गया है और अब समय है कि शैक्षणिक संस्थान, उद्योग जगत और Governmentी अनुसंधान प्रयोगशालाएं एक-दूसरे के साथ मिलकर कार्य करें. उन्होंने डॉक्टरों और शोधार्थियों से द्वि-चरणीय रोग स्पेक्ट्रम संक्रामक और गैर-संक्रामक रोगों से एक साथ निपटने और वृद्ध होती आबादी के साथ बदलती स्वास्थ्य चुनौतियों पर ध्यान केंद्रित करने का आह्वान किया.
कार्यक्रम के दौरान डॉ. सिंह ने स्नातक और स्नातकोत्तर छात्रों को उपाधियां भी प्रदान कीं. उन्होंने कहा कि आज दीक्षांत ग्रहण करने वाले डॉक्टर 2047 में, जब India अपनी स्वतंत्रता के 100 वर्ष पूरे करेगा, तब अपने करियर के चरम पर होंगे. उन्होंने कहा कि भाग्य ने आपको एक स्वस्थ, आत्मनिर्भर और नवोन्मेषी India के निर्माता बनने का अवसर दिया है. करुणा और नवाचार यही भविष्य की चिकित्सा की पहचान होगी.
–
एएसएच/डीकेपी