महाकुंभ में बिछड़ने वालों को अपनों से मिलाएंगे एआई कैमरे, फेसबुक और एक्स भी करेंगे मदद

प्रयागराज, 21 नवंबर . महाकुंभ की तैयारियों को अंतिम रूप देने में लगी योगी आदित्यनाथ सरकार पहली बार इतने व्यापक स्तर पर महाआयोजन का डिजिटलाइजेशन कर रही है. यहां एआई की मदद से ऐसे कैमरे लगाए जा रहे हैं, जो 45 करोड़ श्रद्धालुओं की हिफाजत में 24 घंटे तैनात रहेंगे. एआई लाइसेंस वाले इन कैमरों के साथ ही फेसबुक और एक्स जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म भी बिछड़ने वाले परिजनों को खोजने में तत्काल मदद करेंगे.

इस बार महाकुंभ में देश-विदेश से बड़ी संख्या में आने वाले लोगों को अपनों को खोने का डर नहीं सताएगा. मेला प्रशासन ने इसकी व्यापक कार्ययोजना तैयार की है. इसके लिए डिजिटल खोया-पाया केंद्र को एक दिसंबर से लाइव किया जाएगा. इसके माध्यम से 328 एआई लाइसेंस वाले कैमरे पूरे मेला क्षेत्र पर नजर रखेंगे.

इन सभी कैमरों का परीक्षण कर लिया गया है. पूरे मेला क्षेत्र को इन विशेष कैमरों से लैस किया जा रहा है. योगी सरकार के निर्देश पर बड़े पैमाने पर कैमरे इंस्टॉल करने का काम अपने अंतिम चरण में है. मेला क्षेत्र की चार लोकेशन पर इन विशेष एआई कैमरों का परीक्षण भी किया जा चुका है.

महाकुंभ 2025 में शामिल होने वाले श्रृद्धालुओं के लिए सरकार ने ऐसे डिजिटल खोया-पाया केंद्रों की स्थापना की है, जो तकनीक के सहारे चलेंगे और पलक झपकते ही अपनों से मिलाएंगे. इसमें हर खोए हुए व्यक्ति का डिजिटल पंजीकरण तुरंत किया जाएगा. पंजीकरण होने के बाद एआई कैमरे गुमशुदा की तलाश में जुट जाएंगे.

यही नहीं, गुमशुदा की जानकारी को फेसबुक और एक्स जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर भी शेयर किया जाएगा. यह व्यवस्था महाकुंभ मेले को न केवल सुरक्षित बनाएगी, बल्कि परिवारों को जल्दी और आसानी से अपने प्रियजनों से जोड़ने का काम करेगी.

महाकुंभ में अपनों से बिछड़ने वाले व्यक्तियों की पहचान के लिए फेस रिकॉग्निशन तकनीक का उपयोग किया जाएगा. यह तत्काल काम करेगा. यहां 45 करोड़ लोगों के आने की संभावना है. ऐसे में एआई कैमरे तत्काल फोटो खींचकर व्यक्ति की पहचान कर लेंगे. इस काम में सोशल मीडिया भी तत्पर रहेगा.

जो भी व्यक्ति महाकुंभ मेले में अपनों से बिछड़ेगा, उसका सुरक्षित, व्यवस्थित और जिम्मेदार प्रणाली के तहत ख्याल भी रखा जाएगा. किसी भी वयस्क को बच्चे या महिला को ले जाने से पहले सुनिश्चित करना होगा कि वह उसे पहचानते हैं और उनकी पहचान प्रमाणिक है.

एसके/एबीएम