पंचायतों के लिए एआई बूस्ट : केंद्रीय मंत्री राजीव रंजन सिंह ‘सभासार’ टूल करेंगे लॉन्च

New Delhi, 14 अगस्त . पंचायती राज मंत्रालय (एमओपीआर) की ओर से Thursday को दी गई जानकारी के अनुसार, एमओपीआर ग्राम सभा या अन्य पंचायत बैठकों की ऑडियो और वीडियो रिकॉर्डिंग से स्ट्रक्चर्ड मिनट्स ऑफ मीटिंग (एमओएम) ऑटोमेटिकली जनरेट करने के लिए एक एआई ड्रिवन टूल को लॉन्च करने जा रहा है.

एमओपीआर New Delhi में केंद्रीय मंत्री राजीव रंजन सिंह और केंद्रीय पंचायती राज राज्य मंत्री प्रोफेसर एसपी सिंह बघेल की उपस्थिति में एआई-पावर्ड मीटिंग समराइजेशन टूल ‘सभासार’ लॉन्च करेगा.

मंत्रालय के अनुसार, ‘सभासार’ एडवांस एआई और नेचुरल लैंग्वेज प्रोसेसिंग (एनएलपी) तकनीकों का उपयोग कर मौखिक चर्चाओं को ट्रांसक्राइब करता है, प्रमुख निर्णयों और कार्य बिंदुओं की पहचान करता है और सुव्यवस्थित बैठक विवरण तैयार करता है.

सरकार के राष्ट्रीय भाषा अनुवाद मिशन ‘भाषिणी’ के साथ इंटीग्रेटेड यह टूल वर्तमान में 13 भारतीय भाषाओं का समर्थन करता है, जिससे विभिन्न भाषाई पृष्ठभूमि वाले पंचायत पदाधिकारियों के लिए समावेशिता और पहुंच सुनिश्चित होती है. इसके अलावा, भविष्य में समर्थित भाषाओं की संख्या भी धीरे-धीरे बढ़ाई जाएगी.

पंचायती राज मंत्रालय ने सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों से 15 अगस्त, 2025 को स्पेशल ग्राम सभा के लिए मिनट्स ऑफ मीटिंग जनरेट करने के लिए सभासार टूल का इस्तेमाल करने का आग्रह किया है.

पहले कदम के रूप में, त्रिपुरा की सभी 1,194 ग्राम पंचायतें (पारंपरिक स्थानीय निकायों सहित) इन इन स्पेशल ग्राम सभा के लिए मिनट्स जनरेट करने के लिए इस टूल का इस्तेमाल करेंगी.

सभासार एक ऐसी पहल है जो सहभागी लोकतंत्र को मजबूत करने और स्थानीय शासन में दक्षता बढ़ाने के लिए डिजिटल इनोवेशन का इस्तेमाल करती है.

मंत्रालय के एक बयान के अनुसार, मैन्युअल डॉक्यूमेंटेशन के लिए आवश्यक समय और प्रयास को कम कर सभासार पंचायत अधिकारियों को पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करते हुए शासन और सेवा वितरण पर ध्यान केंद्रित करने में सक्षम बनाता है.

हाल ही में, सुपरहिट स्ट्रीमिंग शो ‘पंचायत’ के निर्माताओं ने अपने रेखाचित्रों के माध्यम से ग्रामीण विकास को चित्रित करने के लिए पंचायती राज मंत्रालय के साथ हाथ मिलाया.

इस साझेदारी का उद्देश्य प्रमुख ग्रामीण विकास पहलों को उजागर करना है. इसके विषयों में महिला सशक्तीकरण, स्वयं के स्रोत से राजस्व और टेक्नोलॉजी-ड्रिवन विकास शामिल हैं.

एसकेटी/