New Delhi, 7 जुलाई | India में खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र टेक्नोलॉजी और डिजिटल इनोवेशन द्वारा संचालित एक सस्टेनेबल फ्यूचर के लिए तैयार हो रहा है, यह देश को इस क्षेत्र में ग्लोबल लीडर के रूप में स्थापित होने में मदद करेगा. यह जानकारी Monday को जारी हुई एक रिपोर्ट में दी गई.
एसोचैम द्वारा आयोजित फूड टेक कॉन्फ्रेंस में जारी एसोचैम-पीडब्ल्यूसी की संयुक्त रिपोर्ट में बताया गया कि उद्योग 4.0 से जुड़ी टेक्नोलॉजी (एआई, इंटरनेट ऑफ थिंग्स (आईओटी), ब्लॉकचेन, रोबोटिक्स और ऑटोमेशन) से खाद्य प्रसंस्करण, भंडारण और परिवहन के तरीके में परिवर्तन ला रहा हैं.
इन इनोवेशनों से परिचालन दक्षता, खाद्य सुरक्षा, गुणवत्ता नियंत्रण और आपूर्ति श्रृंखला पारदर्शिता में सुधार हो रहा है.
रिपोर्ट के अनुसार, वैश्विक खाद्य रोबोटिक्स बाजार के 2032 तक 6.08 बिलियन डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है. India के पास इन टेक्नोलॉजी का उपयोग करने का एक महत्वपूर्ण अवसर है, खासकर जब यह फसल के काटने के समय होने वाले नुकसान जैसी गंभीर चुनौतियों का समाधान करता है, जिससे देश को सालाना अनुमानित 1.53 ट्रिलियन रुपए का नुकसान होता है.
एसोचैम के महासचिव मनीष सिंघल ने कहा, “विकसित और आत्मनिर्भर अर्थव्यवस्था बनने की दिशा में India की यात्रा, इसके खाद्य प्रसंस्करण पारिस्थितिकी तंत्र के परिवर्तन से काफी हद तक प्रभावित हो रही है.”
रिपोर्ट में उद्योग के सामने आने वाली बाधाओं को भी बताया गया है. इसमें आपूर्ति श्रृंखला ट्रेसेबिलिटी, सीमित प्रसंस्करण कवरेज, पर्यावरण संबंधी चिंताएं और कुशल मैनपावर की कमी शामिल है.
रिपोर्ट में Government द्वारा शुरू की गई पहलों जैसे Prime Minister किसान सम्पदा योजना (पीएमकेएसवाई) और Prime Minister सूक्ष्म खाद्य उद्योग उन्नयन योजना (पीएमएफएमई) पर भी चर्चा की गई है, जिनका उद्देश्य खाद्य प्रसंस्करण पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूत करना, बर्बादी को कम करना और क्षेत्र को औपचारिक बनाना है.
पीडब्ल्यूसी इंडिया के कृषि और खाद्य क्षेत्र के पार्टनर शशि कांत सिंह ने कहा, “उभरती खाद्य प्रसंस्करण प्रौद्योगिकियों पर बातचीत, पक्षकारों के बीच सहयोग को बढ़ावा देने के लिए आवश्यक है जिससे इसे बड़े पैमाने पर अपनाया जा सके. India में खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र में जबरदस्त संभावनाएं हैं.”
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एबीएस/