अगिआंव विधानसभा सीट : जातीय समीकरण और उम्मीदवारों की भूमिका से तय होंगे चुनावी नतीजे

Patna, 22 अक्टूबर . बिहार के भोजपुर जिले की अगिआंव विधानसभा सीट अनुसूचित जाति (एससी) के लिए आरक्षित है और आरा Lok Sabha क्षेत्र का हिस्सा है. 2008 में चुनाव आयोग की ओर से की गई परिसीमन प्रक्रिया के बाद इसे एक अलग विधानसभा क्षेत्र घोषित किया गया. इसके बाद साल 2010 में हुए विधानसभा चुनाव में अगिआंव सीट पहली बार अस्तित्व में आई. इस बार यहां कुल 9 उम्मीदवार मैदान में हैं, जिनमें भाजपा से महेश पासवान, भाकपा-माले से शिव प्रकाश रंजन और जन स्वराज पार्टी से रमेश कुमार प्रमुख उम्मीदवार हैं.

अगिआंव विधानसभा क्षेत्र में अगिआंव, गड़हनी और चरपोखरी प्रखंड आते हैं. यह क्षेत्र पूरी तरह से ग्रामीण इलाका है, और यहां कोई शहरी मतदाता नहीं हैं. जिला मुख्यालय आरा से लगभग 48 किलोमीटर पश्चिम में स्थित यह क्षेत्र भोजपुर और रोहतास जिले की सीमा के निकट है. इसके अलावा, बिक्रमगंज और जगदीशपुर इसके प्रमुख पड़ोसी कस्बे हैं.

क्षेत्र के धार्मिक स्थल भी इसे खास बनाते हैं, जिनमें चरपोखरी अंचल के मुकुंदपुर गांव में स्थित देवी जगदम्बा का प्राचीन मंदिर शामिल है.

अगिआंव विधानसभा में अब तक चार चुनाव हुए हैं. 2010 में भाजपा प्रत्याशी ने राजद प्रत्याशी को हराकर यहां जीत दर्ज की थी. 2015 में जदयू ने भाजपा से गठबंधन तोड़कर राजद के साथ मिलकर चुनाव लड़ा और विजय प्राप्त की, जबकि भाजपा दूसरे स्थान पर रही. 2020 के चुनाव में जदयू फिर से एनडीए में शामिल हो गई, और भाकपा-माले महागठबंधन का हिस्सा बन गई. इस चुनाव में जदयू समर्थित भाजपा उम्मीदवार को भाकपा-माले के शिव प्रकाश रंजन ने हराया.

हालांकि, विजयी विधायक मनोज मंजिल को हत्या के एक मामले में दोषी ठहराए जाने के कारण अयोग्य घोषित कर दिया गया, जिससे 2024 में उपचुनाव हुआ. इस उपचुनाव में भी भाकपा-माले ने सीट बरकरार रखी.

जातीय समीकरणों की बात करें तो अगिआंव एससी आरक्षित सीटहै. इसके बावजूद राजपूत और यादव मतदाता यहां जीत-हार में निर्णायक भूमिका निभाते हैं. इस बार भी चुनाव में इन जातीय समीकरणों और उम्मीदवारों की व्यक्तिगत लोकप्रियता के आधार पर ही परिणाम की दिशा तय हो सकती है.

डीसीएच/जीकेटी