नई दिल्ली, 24 अप्रैल . जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत सरकार ने पाकिस्तान के खिलाफ कड़ा रुख अपनाते हुए कई बड़े और निर्णायक कदम उठाए हैं. इनमें सबसे महत्वपूर्ण है 1960 के सिंधु जल समझौते (इंडस वाटर्स ट्रीटी) को निलंबित करना, अटारी-वाघा सीमा पर इंटीग्रेटेड चेक पोस्ट को तत्काल प्रभाव से बंद करना, सार्क वीजा छूट योजना (एसवीईएस) के तहत पाकिस्तानी नागरिकों के वीजा रद्द करना, और भारत में मौजूद पाकिस्तानी नागरिकों को 48 घंटे के भीतर देश छोड़ने का आदेश देना. इसके साथ ही, नई दिल्ली में पाकिस्तानी उच्चायोग में तैनात कई रक्षा, सैन्य, नौसेना और वायु सलाहकारों को अवांछित व्यक्ति घोषित कर एक सप्ताह के भीतर भारत छोड़ने का निर्देश दिया गया है. भारत ने इस्लामाबाद में अपने उच्चायोग से भी अपने रक्षा सलाहकारों को वापस बुलाने का फैसला किया है. इन कदमों को लेकर भारतीय सेना के सेवानिवृत्त अधिकारियों और रक्षा विशेषज्ञों ने अच्छा कदम बताया है. देश के रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि भारत सरकार के इन कदमों से पाकिस्तान पर इन फैसलों के गहरे आर्थिक प्रभाव पड़ेंगे.
रक्षा विशेषज्ञ मेजर जनरल (रि.) पीके सहगल ने इस फैसले को ऐतिहासिक करार देते हुए पाकिस्तान के लिए करारा झटका बताया. उन्होंने कहा कि सिंधु जल समझौते का निलंबन पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को गहरी चोट पहुंचाएगा. पाकिस्तान की जीडीपी में 20 से 25 प्रतिशत की कमी आ सकती है, और फसल उत्पादन में 25 से 30 प्रतिशत की गिरावट हो सकती है. पाकिस्तान पहले ही पानी की भारी कमी से जूझ रहा है, और यह समझौता वहां की जीवन रेखा के समान है.
सहगल ने कहा कि यह समझौता शुरू से ही असमान था, क्योंकि भारत, एक ऊपरी तटीय देश होने के बावजूद, अपनी बड़ी आबादी के लिए कम पानी का उपयोग करता है, जबकि पाकिस्तान को 80 प्रतिशत पानी मिलता है. इस निलंबन से पाकिस्तान में किसानों में भारी असंतोष बढ़ेगा, और आम जनता का गुस्सा वहां की सेना और सरकार के खिलाफ जा सकता है. भारत को अब नहरें और चेक डैम बनाने की जरूरत होगी, इसके लिए चार से पांच साल लग सकते हैं, लेकिन यह कदम पाकिस्तान को आर्थिक रूप से कमजोर करने में कारगर होगा.
इसके अलावा, उन्होंने विदेश मंत्री एस. जयशंकर के उस बयान का भी समर्थन किया, जिसमें कहा गया कि भारत पाकिस्तान को कूटनीतिक रूप से अलग-थलग करने की कोशिश करेगा. सहगल ने सुझाव दिया कि भारत को फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) की ग्रे लिस्ट में पाकिस्तान को फिर से शामिल करने, विश्व बैंक और आईएमएफ से मिलने वाले ऋणों को रद्द करने, और अमेरिका से मिलने वाली सैन्य सहायता, जैसे एफ-16 विमानों के रखरखाव के लिए 300 मिलियन डॉलर की सहायता, को रोकने की दिशा में काम करना चाहिए. उन्होंने इस हमले को भारत की विविधता पर हमला करार दिया, जिसमें आतंकियों ने चुन-चुनकर हिंदुओं को निशाना बनाया और उनकी पहचान की जांच की. इस हमले के डिजिटल फुटप्रिंट कराची की ओर इशारा करते हैं, जहां मुंबई हमले की तर्ज पर एक नियंत्रण कक्ष स्थापित किया गया था, जिससे साफ है कि यह हमला पाकिस्तानी सेना, आईएसआई और कट्टरपंथी ताकतों द्वारा प्रायोजित था.
बीएसएफ के पूर्व अतिरिक्त महानिदेशक पीके मिश्रा ने सरकार के इन कदमों की सराहना की और इसे पाकिस्तान को सबक सिखाने की दिशा में एक मजबूत कदम बताया. उन्होंने कहा कि कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी (सीसीएस) ने दोनों देशों के उच्चायोगों में कर्मचारियों की संख्या को 55 से घटाकर 30 करने का जो फैसला लिया, वह स्वागत योग्य है. मिश्रा ने कहा कि भारत ने अपने उच्चायोग के कर्मचारियों को इस्लामाबाद से वापस बुलाने और पाकिस्तानी उच्चायोग के सात सहायक कर्मचारियों को सात दिनों के भीतर भारत छोड़ने का आदेश देकर सही कदम उठाया है.
उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इस निर्णायक कदम के लिए बधाई दी और कहा कि यह फैसला पाकिस्तान को उसकी हरकतों की कीमत चुकाने के लिए मजबूर करेगा. मिश्रा ने लश्कर-ए-तैयबा के आतंकी सैफुल्लाह कसूरी और पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल आसिम मुनीर की हालिया बयानबाजी का जिक्र करते हुए कहा कि इस हमले के बाद दुनिया भर में पाकिस्तान के खिलाफ माहौल बन गया है, जिससे इन नेताओं का लहजा भी नरम पड़ गया है. उन्होंने सैफुल्लाह को इस हमले का मास्टरमाइंड करार देते हुए कहा कि उसका अंत निश्चित है, और वह जहां भी जाएगा, उसे खत्म किया जाएगा. मिश्रा ने जनरल मुनीर के हालिया बयानों को हिंदू-मुस्लिम विभाजन को बढ़ावा देने की कोशिश करार दिया, लेकिन कहा कि भारत की एकजुटता और वैश्विक समर्थन ने पाकिस्तान को बैकफुट पर ला दिया है.
कर्नल (रि.) टीपी त्यागी ने सिंधु जल समझौते के निलंबन को पाकिस्तान को घुटनों पर लाने वाला कदम बताया. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान पहले ही पानी की भारी कमी से जूझ रहा है, और यह निलंबन उसकी मुश्किलें और बढ़ाएगा. त्यागी ने अटारी सीमा बंद करने और एसवीईएस वीजा रद्द करने के फैसले को भी प्रभावी बताया. उन्होंने कहा कि अटारी सीमा के जरिए भारत आने वाले कई पाकिस्तानी नागरिक, खासकर इलाज के लिए आने वाले, अब वापस लौटने को मजबूर होंगे. इसके अलावा, सार्क वीजा योजना के तहत भारत आने वाले पाकिस्तानी पत्रकारों और व्यापारियों पर भी रोक लगाना सही कदम है, क्योंकि कुछ लोग भारत की आंतरिक जानकारी जुटाने में लगे थे. हालांकि, त्यागी ने जोर देकर कहा कि इन कदमों का असर तब तक अधूरा रहेगा, जब तक सैन्य कार्रवाई नहीं की जाती. उन्होंने सुझाव दिया कि भारत को पीओके में आतंकी लॉन्च पैड्स को अपाचे हेलीकॉप्टर या अन्य स्टैंड-ऑफ हथियारों से नष्ट करना चाहिए, वह भी अपनी सीमा के भीतर रहते हुए. त्यागी ने कहा कि यह कार्रवाई भारत की ताकत को दर्शाएगी और आतंकियों के हौसले पस्त करेगी.
मेजर जनरल (रि.) ध्रुव सी कटोच ने कहा कि ये कदम न केवल संदेश देने के लिए हैं, बल्कि भारत के इरादों को स्पष्ट करते हैं. कटोच ने बताया कि यह निलंबन पाकिस्तान को यह संदेश देता है कि भविष्य के संबंध उसके व्यवहार पर निर्भर करेंगे, और उसे आतंकवाद को पूरी तरह रोकना होगा. उन्होंने कहा कि सिंधु, झेलम और चिनाब नदियों के पानी पर भारत अब अपने हिसाब से फैसले ले सकता है, खासकर झेलम और चिनाब पर, जहां भारत भविष्य में बड़े प्रोजेक्ट्स शुरू कर सकता है. कटोच ने यह भी स्पष्ट किया कि ये शुरुआती कदम हैं, और सैन्य कार्रवाइयां जल्द ही हो सकती हैं. उन्होंने कहा कि यह कार्रवाई एक सप्ताह, दस दिन, या छह महीने में हो सकती है, लेकिन यह निश्चित है कि पाकिस्तानी सेना और राजनीतिक नेतृत्व को इसके गंभीर परिणाम भुगतने होंगे. कटोच ने मोदी सरकार की तारीफ करते हुए कहा कि यह पहली सरकार है, जिसने पाकिस्तान को स्पष्ट शब्दों में चेतावनी दी है कि आतंकवाद को अब राज्य नीति के रूप में इस्तेमाल नहीं किया जा सकता. उन्होंने 2014 में प्रधानमंत्री मोदी के पाकिस्तान के साथ रिश्ते सुधारने के प्रयासों का जिक्र किया, जब वे नवाज शरीफ के परिवार के एक विवाह समारोह में शामिल हुए थे, लेकिन पाकिस्तान ने बार-बार विश्वासघात किया.
कर्नल (रि.) पी गणेशन ने इस हमले को “बचकाना और बर्बर” करार दिया. उन्होंने कहा कि 1965 और 1971 के युद्धों में हिस्सा लेने के बाद वे पाकिस्तान के रवैये से अच्छी तरह वाकिफ हैं. गणेशन ने कहा कि यह हमला सभ्य समाज के लिए अस्वीकार्य है, खासकर तब जब दुनिया 2025 में तकनीकी और वैज्ञानिक प्रगति की ओर बढ़ रही है. उन्होंने एक वीडियो का जिक्र किया, जिसमें आतंकी ने एक महिला के पति को मारने के बाद उसे छोड़ दिया और कहा, “जाओ, मोदी को बता देना.” गणेशन ने इसे आतंकियों की मानसिकता का प्रतीक बताया और कहा कि यह हमला किसी स्वतंत्र समूह का नहीं, बल्कि पाकिस्तानी ताकतों द्वारा निर्देशित था. उन्होंने इस हमले को भारत में अशांति फैलाने की साजिश करार दिया और कहा कि वैश्विक समुदाय भारत के साथ खड़ा है.
लेफ्टिनेंट जनरल (रि.) कमल जीत सिंह ने इस हमले को दुर्भाग्यपूर्ण बताया और सरकार पर पूरा भरोसा जताया. उन्होंने कहा कि उरी और बालाकोट हमलों के बाद भारत ने सर्जिकल स्ट्राइक और एयर स्ट्राइक जैसे कदम उठाए थे, और इस बार भी जवाब सोचा-समझा और प्रभावी होगा. सिंह ने सिंधु जल समझौते के निलंबन को एक बड़ा हथियार बताया और कहा कि 2011 में चिनाब पर बागलीहार बांध बनने से पाकिस्तान में अकाल जैसी स्थिति पैदा हो गई थी. उन्होंने बताया कि भारत अब बिना पाकिस्तानी आपत्तियों के अपने प्रोजेक्ट्स को तेज कर सकता है, जिससे पाकिस्तान को भारी नुकसान होगा. सिंह ने कश्मीरी जनता से इस हमले के खिलाफ खड़े होने की अपील की और कहा कि मीरवाइज, मुफ्ती और अन्य धार्मिक नेताओं को इसके खिलाफ फतवा जारी करना चाहिए. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान ने इस हमले से हद पार कर दी है, और उसे इसके परिणाम भुगतने होंगे.
सेवानिवृत्त जवान दुलाल सरकार, जो 1965 और 1971 के युद्धों में हिस्सा ले चुके हैं, ने कहा कि भारत सरकार इस स्थिति में सख्त कदम उठाएगी. उन्होंने कहा कि युद्ध का मतलब सिर्फ लड़ाई नहीं है, बल्कि कई पहलुओं पर विचार करना पड़ता है. सरकार के बुलावे पर वे आज भी युद्ध के मैदान में जाने को तैयार हैं. सरकार ने कहा कि यह हमला कश्मीर की प्रगति और शांति को बाधित करने की कोशिश है, लेकिन भारत का जवाब इसे विफल कर देगा.
भारत के सेवानिवृत्त सैन्य अधिकारियों और रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि सरकार के ये कदम पाकिस्तान को आर्थिक, सामाजिक और कूटनीतिक रूप से कमजोर करेंगे.
–
पीएसएम/